दोषियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाने के मामले पर SC ने सरकार से मांगा जवाब
चुनाव आयोग पहले ही अपना जवाब दाखिल कर दोषी के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का समर्थन कर चुका है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपराधिक केस में अदालत से दोषी ठहराए गये लोगों के चुनाव लड़ने पर जीवनभर के लिए प्रतिबंध लगाने की मांग पर सुप्रीमकोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले में 18 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी।
हालांकि चुनाव आयोग पहले ही अपना जवाब दाखिल कर दोषी के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का समर्थन कर चुका है। अभी फिलहाल दोषी पर सजा पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध रहता है। भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों और न्यायपालिका से जुड़े लोगों के आपराधिक मुकदमों के एक साल के भीतर निपटारे के लिए विशेष अदालतें गठित करने और दोषी ठहराए गये लोगों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए अयोग्य माने जाने की मांग की है।
साथ ही चुनाव सुधार संबंधी विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग है। इसके अलावा उपाध्याय ने याचिका में चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा तय करने की भी मांग की है। चुनाव आयोग ने उपाध्याय की याचिका मे की गई दो मांगो का तो समर्थन किया है लेकिन चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा के बारे में कहा है कि ये मुद्दा विधायिका के कार्यक्षेत्र में आता है और इसके लिए कानून में संशोधन की जरूरत होगी।
शुक्रवार को मामले पर सुनवाई के दौरान उपाध्याय की ओर से पेश वकील विकास सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है और उसमें मांग का समर्थन किया गया है लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। केन्द्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इसी तरह का एक मामला विचार के लिए संविधानपीठ को भेजा गया है।
इस पर विकास सिंह का कहना था कि वह मामला इस मामले से भिन्न है। उस मामले में किसी भी व्यक्ति पर गंभीर आरोपों में अदालत से आरोपतय होने के बाद चुनाव लड़ने पर रोक लगाये जाने का मुद्दा है जबकि इस मामले में अदालत से दोषी ठहराए गये व्यक्ति पर जीवनभर के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग है। पीठ ने दलीलें सुनने के बाद केंद्र की ओर से पेश वकील से कहा कि वे 7 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल कर दें। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे उसके बाद एक सप्ताह में अपना प्रतिउत्तर दाखिल कर दें। कोर्ट 18 अप्रैल को इस मामले पर फिर सुनवाई करेगा।
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