जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंदू हैं अल्पसंख्यक, सुप्रीम कोर्ट दाखिल की गई याचिका
राष्ट्रीय डेटा के बजाय राज्य-वार जनसंख्या डेटा के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय की घोषणा करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर SC ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की मदद मांगी है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका में राष्ट्रीय आंकड़े की जगह राज्यवार जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों का निर्धारण करने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सहयोग मांगा है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय करते हुए शीर्ष कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अपनी याचिका की प्रति अटार्नी जनरल के कार्यालय को उपलब्ध कराने को कहा है।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है।याचिका में केंद्र की 26 साल पुरानी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई है। इस अधिसूचना में पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया है। इसके साथ ही याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2 (सी) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। इसी अधिनियम के तहत 23 अक्टूबर 1993 को अधिसूचना जारी की गई थी।
उपाध्याय ने अल्पसंख्यक को परिभाषित करने वाला दिशा-निर्देश तय करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राज्यवार जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक परिभाषित किए जाएं न कि राष्ट्रीय आंकड़े के आधार पर। उन्होंने उल्लेख किया है कि अधिसूचना स्वास्थ्य, शिक्षा, शरण और जीवनयापन के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन है।वकील ने कहा है कि वह यह जनहित याचिका इसलिए दायर कर रहे हैं क्योंकि उन्हें गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से आवेदन पर कोई जवाब नहीं मिला है।
11 फरवरी को शीर्ष कोर्ट ने उपाध्याय को अल्पसंख्यक आयोग से संपर्क करने को कहा था। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि आयोग तीन महीने के भीतर उनके आवेदन पर फैसला लेगा। उन्होंने राष्ट्रीय आंकड़े की जगह राज्यवार आंकड़े के आधार पर अल्पसंख्यकों को परिभाषित करने की मांग की थी।
कई राज्यों में हिंदू हैं अल्पसंख्यक
भाजपा नेता उपाध्याय ने अपनी अर्जी में कहा है कि राष्ट्रीय आंकड़े के अनुसार बहुसंख्यक हिंदू उत्तरपूर्व के कई राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर में अल्पसंख्यक हैं। इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों को मिलने वाले लाभ से हिंदू वंचित हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को इस परिप्रेक्ष्य में अल्पसंख्यकों की परिभाषा पर विचार करना चाहिए।
अल्पसंख्यक की परिभाषा का राज्य कर रहे दुरुपयोग
अनुच्छेद 29-30 के अनुसार अल्पसंख्यक की परिभाषा में जो चूक रह गई है वह राज्यों के हाथों में है। राजनीतिक हित साधने के लिए इसका दुरुपयोग हो रहा है। याचिका में इसका उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जिन राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम हुई है वहां इसे अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया जाए।
कहां-कहां हिंदू अल्पसंख्यक
2011 की जनगणना के अनुसार सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। केंद्र शासित लक्षद्वीप की आबादी में हिंदू 2.5 फीसद हैं। मिजोरम में 2.75, नगालैंड में 8.75, मेघालय में 11.53, जम्मू एवं कश्मीर में 28.44, अरुणाचल प्रदेश में 29 मणिपुर में 31.39 और पंजाब में 38.40 फीसद हिंदू हैं।
इन राज्यों में ईसाई हैं बहुसंख्यक
मिजोरम, मेघालय और नगालैंड में ईसाई समुदाय बहुसंख्यक है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, गोवा, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इस समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। लेकिन इन राज्यों में समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल है।
यहां बहुसंख्यक हैं सिख
पंजाब में सिख बहुसंख्यक हैं। इसके अलावा दिल्ली, चंडीगढ़ और हरियाणा में भी इस समुदाय के लोग अच्छी संख्या में हैं। याचिका में कहा गया है कि फिर भी यहां सिख अल्पसंख्यक माने जाते हैं।
अल्पसंख्यक माने जा रहे मुस्लिम यहां हैं बहुसंख्यक
लक्षद्वीप में मुस्लिमों की आबादी 96.20 फीसद है। जम्मू एवं कश्मीर की आबादी में 68.30, असम में 34.20, पश्चिम बंगाल में 27.5, केरल में 26.60 उत्तर प्रदेश में 19.30 और बिहार में 18 फीसद मुस्लिम हैं।
बहुसंख्यक ले रहे अल्पसंख्यक का लाभ
याचिका में कहा गया है कि बहुसंख्यक होने के बाद भी इन जगहों पर अल्पसंख्यकों को मिलने वाला लाभ ये उठाते हैं और असली अल्पसंख्यक अपने वैध हिस्से से वंचित हैं। इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत तय उनके बुनियादी अधिकारों का हनन हो रहा है।