दिल्ली-एनसीआर में अाज से नहीं चलेंगी डीजल टैक्सियां
सुप्रीम कोर्ट ने टैक्सी कंपनियों को कोई राहत ना देते हुए कहा कि जिनती छूट दी जा सकती थी वो दी जा चुकी है और अब उन्हें अब टैक्सी चलाने के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सड़कों पर अब सीएनजी टैक्सियां ही नजर आएंगी। डीजल टैक्सी चालकों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई। लिहाजा रविवार से दिल्ली-एनसीआर में ओला और उबर समेत कोई भी डीजल टैक्सी नहीं चलेगी। हालांकि यह आदेश ऑल इंडिया परमिट वाली टैक्सियों पर लागू नहीं है। लेकिन वह दिल्ली के अंदर एक स्थान से दूर स्थान नहीं जा सकेंगी।
वहीं दिल्ली-एनसीआर में 2000 सीसी से ज्यादा की लग्जरी डीजल गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन पर पाबंदी के खिलाफ कार निर्माताओं की अर्जी पर कोर्ट ने कोई आदेश जारी नहीं किया है यानी फिलहाल रोक जारी है।
प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति एके सीकरी और आर. भानुमति की पीठ ने शनिवार को कहा, 'डीजल से चलने वाली टैक्सियों को सीएनजी मोड में बदलने के लिए तय समय सीमा 30 अप्रैल को हम बढ़ाने नहीं जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने डीजल टैक्सी ऑपरेटरोंं को वाहन सीएनजी मोड में बदलने के लिए एक मार्च तक का समय दिया था, जिसे बढ़ाकर पहले 31 मार्च और उसके बाद 30 अप्रैल तक कर दिया था।
दिल्ली पुलिस, जल बोर्ड को छूट
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन सेस के भुगतान पर दिल्ली पुलिस को 2000 सीसी या इससे अधिक सीसी के उसके 190 डीजल वाहनों के पंजीकरण की अनुमति भी दे दी है। कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड को भी डीजल चालित पानी के उसके नए टैंकरोंं का परिवहन प्राधिकरण में पंजीकरण कराने की अनुमति दी है। साथ ही बोर्ड को ग्रीन सेस के भुगतान से छूट दी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई अब सोमवार 9 मई को होगी।
प्रदूषण पर केंद्र को फटकार
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के उपाय न करने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। खंडपीठ ने कहा, 'आप लोग सिर्फ कॉफी की चुस्कियां लेते रहें और कुछ नहीं कर रहे।...यह लोगों की जिंदगी का सवाल है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पूछा कि मंत्रालय के लोग क्या कर रहे हैं। आप कुछ शोध और समाधान के साथ क्यों नहीं आ रहे। आप इस बारे में शोध क्यों नहीं कर रहे कि बाकी दुनिया में क्या हो रहा है। आखिर में ऐसे सभी मामलों को अदालत को ही देखना पड़ रहा है। खंडपीठ ने कहा कि मंत्रालय के लोग इंतजार कर रहे हैं कि अदालत में कोई उपाय लेकर आएगा और तब वह कुछ करेंगे। आपको वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल और उनकी टीम के अनुसंधान और समाधान का इंतजार क्यों है।