SC ने तीन तलाक का मसला संवैधानिक पीठ को भेजा, 11 मई से होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक का मसला संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है। अब 11 मई से इस मसले पर सुनवाई होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गर्मी की छुट्टियों में मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक, हलाला और चार शादियों की कानूनी वैधानिकता की जांच करेगी। अदालत ने मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए गुरुवार को ये मसला विचार के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया है। गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही 11 मई से संविधान पीठ इस पर रोजाना सुनवाई शुरू कर देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हए मुस्लिमों में प्रचलित एक बार में तीन तलाक, हलाला और चार शादियों के मुद्दे पर विचार करने का मन बनाया था। बाद में तीन तलाक की पीडि़ता कई मुस्लिम महिलाओं ने भी अलग से याचिकाएं दाखिल कर मुस्लिमों में प्रचलित इन प्रथाओं का विरोध किया है। हलाला निकाह वह प्रथा है जिसमें अगर कोई तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व पति से दोबारा शादी करना चाहती है तो उसे पहले किसी अन्य व्यक्ति से शादी करनी होगी और वह व्यक्ति उसे तलाक देगा। फिर इद्दत की अवधि पूरी करने के बाद ही महिला पूर्व पति से दोबारा शादी कर सकती है। इस पूरी प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है।
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि ये मामला महत्वपूर्ण और संवेदनशील है इसलिए 11 मई से इस पर संविधान पीठ सुनवाई करेगी। 11 मई से रोजाना सुनवाई के संकेत देते हुए पीठ ने कहा, 'अगर हमने अभी फैसला नहीं लिया तो यह सालों और दशकों में नहीं हो सकेगा। 11, 12 को गुरुवार और शुक्रवार है। उसके बाद का अगला हफ्ता भी सुनवाई के लिए उपलब्ध होगा। हम शनिवार और रविवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं।' पीठ ने संबंधित पक्षकारों से कहा कि जिन्होंने अपने लिखित जवाब दाखिल नहीं किये हैं वे दो सप्ताह में संक्षिप्त लिखित जवाब दाखिल कर दें।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में तीन तलाक, हलाला और बहु विवाह का विरोध करते हुए कहा था कि ये महिलाओं के लिंग आधारित भेदभाव है। जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने लिखित जवाब में कोर्ट के इस मसले पर सुनवाई करने का विरोध किया है। बोर्ड ने कहा कि अदालत दुनिया भर में मुस्लिम पर्सनल लॉ में हो रहे बदलावों पर गौर करने के बजाय भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों को मिली धार्मिक आजादी को सुनिश्चित करे।
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