आवेदन पत्रों में तीसरे लिंग का भी विकल्प रखे एसबीआइ
पिछले हफ्ते दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस देबांग्शु बसु की पीठ ने यह कहा कि लिंग के आधार पर ट्रांसजेंडरों से भेदभाव नहीं किया जा सकता।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) को भर्ती के लिए जारी किए जाने वाले अपने आवेदन पत्रों में 'तीसरे लिंग' का भी विकल्प रखने का आदेश दिया है।
अत्रि कर नामक ट्रांसजेंडर (किन्नर) द्वारा पिछले हफ्ते दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस देबांग्शु बसु की पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि लिंग के आधार पर ट्रांसजेंडरों से भेदभाव नहीं किया जा सकता। एसबीआइ की भर्ती प्रक्रिया में ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। एसबीआइ के आवेदन पत्र में लिंग के तौर पर स्त्री एवं पुरूष विकल्प ही हैं, यानी एसबीआइ की भर्ती की चयन प्रक्रिया इस तरह की है कि ट्रांसजेंडर आवेदन ही नहीं कर सकते। यह भारतीय संविधान की धारा 15 का उल्लंघन है।
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गौरतलब है कि एसबीआइ ने परिवीक्षाधीन अधिकारियों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे, लेकिन उसमें 'तीसरे लिंग' का विकल्प नहीं होने के कारण अत्रि के लिए आवेदन कर पाना संभव नहीं हो पाया। हाई कोर्ट ने एसबीआइ को अत्रि का आवेदन मंजूर करने का भी निर्देश दिया है, जिसकी समय सीमा गत छह मार्च को ही पूरी हो चुकी है। गौरतलब है कि अत्रि के नाम पश्चिम बंगाल से सिविल सर्विस की परीक्षा में बैठने वाले पहले ट्रांसजेंडर होने की उपलब्धि दर्ज है। वह एक निजी शिक्षक हैं।
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उन्होंने पिछले साल पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग एवं रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा तीसरे लिंग के तौर पर उनका आवेदन मंजूर नहीं किए जाने पर भी कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया था।