स्मृति ने खारिज की संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाने की मांग
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने पाठ्यक्रम में संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाने की मांग खारिज कर दी है। इसके बावजूद उन पर शिक्षा के भगवाकरण के आरोप लगाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने पाठ्यक्रम में संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाने की मांग खारिज कर दी है। इसके बावजूद उन पर शिक्षा के भगवाकरण के आरोप लगाए जा रहे हैं।
संस्कृत को बतौर अनिवार्य भाषा पढ़ाए जाने की मांग को उन्होंने खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद आठ में सूचीबद्ध 23 भारतीय भाषाओं में से किन्ही तीन भाषाओं को पढ़ाए जाने का फार्मूला बहुत ही स्पष्ट है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक साक्षात्कार में कहा कि जो लोग उन पर आरएसएस का चेहरा होने या प्रतिनिधि होने का आरोप लगाते हैं वह उनके अच्छे काम से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह इन हमलों के लिए तैयार हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है।
धर्म से ऊपर संविधान को रखा:
स्मृति ईरानी ने कहा कि वह नहीं समझ पा रहीं कि इन विषयों में धर्मनिरपेक्षता क्यों आहत होती है और शिक्षा के भगवाकरण सवाल क्यों उठाया जाता है। उन्होंने इन मामलों में धर्म से ऊपर संविधान को रखकर निर्णय लिए हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी का चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम हटाते हुए भी उन्होंने ये नहीं सोचा कि इसे पढ़ने वाले छात्र किस समुदाय या किस क्षेत्र के हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी की उस डिग्री का कोई कानूनी आधार नहीं था। इसीलिए उसे हटाया गया।
जर्मन को तीसरी भाषा बनाने की जांच शुरू:
केंद्र के संचालित 500 केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा की जंगह संस्कृत को बतौर तीसरी भाषा पढ़ाने के विवादास्पद फैसले पर उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय में 2011 में साइन किया गया एमओयू दरअसल असंवैधानिक था। उन्होंने कहा कि जर्मन को तीसरी भाषा के तौर पर बढ़ाया जाना संविधान का उल्लंघन है। इस विषय में एमओयू क्यों साइन किया गया इस पर जांच बैठाई जा चुकी है।
बतौर विदेशी भाषा जर्मन स्वीकार्य:
उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा के तौर पर जर्मन पढ़ाई जाती रहेगी। अगर फ्रेंच, मंडारिन पढ़ाई जा सकती है तो जर्मन क्यों नहीं। स्मृति ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि लोग उनकी बात क्यों नहीं समझ पा रहे।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः
अगले साल से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाने के संबंध में स्मृति ईरानी ने कहा कि इस कवायद में शिक्षा से जुड़े सभी वर्गो को शुमार किया जाएगा। शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की राय के साथ ही पाठ्यक्रमों पर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की भी राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि छात्रों से बातचीत में देखा गया कि वह विषयों में कुछ विकल्प ऐसे चाहते हैं जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार करें और कुछ विषय ऐसे चाहते हैं जो व्यवहारिक और आज की दुनिया के हों। दसवीं में फिर से बोर्ड के इम्तिहान कराने की मांग पर उन्होंने कहा कि ये फैसला सीएबीई को लेना है। बड़े नीतिगत फैसले सीएबीई लेगी और इसमें उनसे जुड़े राज्यों का भी शुमार होगा।
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