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बीएमसी चुनाव: संजय राउत का बड़ा बयान, कहा- कांग्रेस से कभी नहीं मांगा समर्थन

कांग्रेस से गठबंधन की खबरों के बीच संजय निरुपम ने कहा कि हम शिवसेना जैसी सांप्रदायिक पार्टी के साथ नहीं जा सकते जो धर्म और जाति की राजनीति करती हो।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 05:57 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 09:51 PM (IST)
बीएमसी चुनाव: संजय राउत का बड़ा बयान, कहा- कांग्रेस से कभी नहीं मांगा समर्थन
बीएमसी चुनाव: संजय राउत का बड़ा बयान, कहा- कांग्रेस से कभी नहीं मांगा समर्थन

मुंबई, प्रेट्र : शिवसेना के उम्मीदवार को मुंबई का मेयर बनाने के लिए समर्थन की पेशकश की चर्चा के बाद कांग्रेस ने अंतत: ऐसी किसी संभावना से इन्कार कर दिया है। हालांकि यह अटकलें जारी हैं कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद ही कांग्रेस अपने पत्ते खोलेगी।

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कांग्रेस के मुंबई ईकाई के अध्यक्ष संजय निरुपम ने शनिवार को अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की सत्ता पर काबिज होने में वह शिवसेना की मदद नहीं करेगी। मेयर चुनाव के लिए समान सोच वाली पार्टियों के साथ एक साझा उम्मीदवार लाने की जरूरत है। उन्होंने नवनिर्वाचित पार्षदों की बैठक में कहा कि कांग्रेस यह भी मानती है कि अलग हो चुके भाजपा और शिवसेना बीएमसी की सत्ता पर आपना दावा ठोंकते हुए फिर एक साथ आ सकते हैं। कांग्रेस मेयर के पद समेत बीएमसी की सत्ता के लिए शिवसेना का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हम विपक्ष में बैठने को तैयार हैं। निरुपम ने कहा कि कांग्रेस अपने जैसी विचारधारा वाले राजनीतिक दलों का एक साथ लाकर एक अलग गठबंधन बनाने की इच्छा जरूरी है। मेयर चुनाव में भी वह एक साझा उम्मीदवार लाने पर विचार कर रहे हैं।

हालांकि इससे पहले, महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम छिपाने की शर्त पर कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव खत्म होने के बाद ही कांग्रेस खुलकर अपना रुख स्पष्ट करेगी। इस मामले में भी अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान का ही होगा।

भाजपा-शिवसेना के बीच कड़वाहट के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ने के चलते बीएमसी में खंडित जनादेश मिला है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि इस कदम से राज्य में देवेंद्र फड़नवीस की सरकार भी गहरे संकट में पड़ सकती है। चूंकि कांग्रेस के साथ आने पर शिवसेना पर भाजपा से गठबंधन तोड़ने का भी दबाव डाला जा सकता है।

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने विगत शुक्रवार को शिवसेना को संकेत दिया था कि पहले वह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से अलग हो जाए। उसके बाद कांग्रेस पार्टी शिवसेना की मदद करेगी।

लिहाजा, शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पूर्व नगर प्रमुख गुरुदास कामत ने शिवसेना को समर्थन देने के विचार पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि वह बीएमसी में शिवसेना को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने या उससे किसी भी तरह के गठजोड़ के विचार के भी खिलाफ हैं। उन्होंने अपनी राय से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी अवगत करा दिया।

इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि भाजपा चुनाव बाद अब कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं करने जा रही है। जो लोग कांग्रेस के साथ जाना चाहते हैं जाएं लेकिन भाजपा पारदर्शिता के मकसद को खोएगी नहीं और अपने आदर्शो पर कायम रहेगी।

शिवसेना को 87 सीटें :

बीएमसी में गुरुवार की मतगणना के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनी शिवसेना की अब कुल 87 सीटें हो गई हैं। दरअसल उसके तीन बागी नेता जो निर्दलीय चुनाव जीते थे, अब शिवसेना में वापस लौैट आए हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे को बीएमसी में अपनी सरकार बनाने के लिए 114 सीटों के जादुई आंकड़े तक पहुंचने में कुछ मदद मिली है।

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