Move to Jagran APP

सफाईकर्मी ने की एमफिल, अब पीएचडी की तैयारी

तमाम बाधाओं को पार कर मुंबई के एक सफाई कर्मचारी ने एमफिल की डिग्री हासिल कर ली है। अब वह पीएचडी करना चाह रहा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 06 May 2016 08:55 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2016 09:19 PM (IST)
सफाईकर्मी ने की एमफिल, अब पीएचडी की तैयारी

जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। हालात से संघर्ष का जज्बा हो तो कामयाबी अवश्य मिलती है। ऐसा ही कुछ करके दिखाया है मुंबई के एक सफाई कर्मचारी ने। तमाम बाधाओं को पार करते हुए उसने एमफिल की डिग्री हासिल की और अब अगला लक्ष्य पीएचडी का है।

loksabha election banner

बृहन्नमुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन (बीएमसी) में सफाई कर्मचारी 36 वर्षीय सुनील यादव ने टाटा इंस्टीट्यूट आफ साइंसेज(टीआइसीसीसी) से एमफिल की डिग्री हासिल की है। इन दिनों उसकी ड्यूटी सेंट्रल मुंबई के नाना चौक पर है। रात को सफाई और दिन में पढ़ाई यादव की दिनचर्या में है। पीएचडी करके सफाई कर्मचारियों की समस्याओं पर गहन अध्ययन, अनुसंधान करके उनका समाधान निकालने के लिए कुछ खास करके दिखाने की सुनील की इच्छा है।

सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष:

उन्होंने कहा, एमफिल डिग्री लेकर मैं बहुत खुश हूं, हमारी सामाजिक व्यवस्था में सफाई कर्मचारियों को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा। डिग्री वितरण समारोह के बाद यादव ने बताया कि मैंने 'नगर निगमों, पालिकाओं में सफाई के काम में महिलाओं की स्थिति' विषय पर एमफिल की और सातवें स्थान पर रहा। अच्छे अंक पाने के बाद भी यादव सफाई कर्मचारी की नौकरी छोड़ना नहीं चाहते।

अयोग्य ठहरा दिया गया था:

सुनील ने बताया कि उसे अपने पिता की जगह अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी, उस समय वह दसवीं फेल था, उसे नौकरी के लिए चिकित्सा आधार पर अयोग्य ठहरा दिया गया। विषम परिस्थितियों में सुनील ने हालात से संघर्ष की ठान ली। एएसएससी और एचएससी के बाद बी कॉम परीक्षा पास की और उसके बाद पत्रकारिता में स्नातक की और भूमंडलीकरण एवं श्रमिक विषय में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की।

नहीं हारी हिम्मत:

विभागीय स्तर पर अनेक बाधाएं झेलनी पड़ीं, अपमान के घूंट पीने पड़े लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अधिकारी प्रोत्साहन के बजाय अपमानित करते थे। सुनील के अनुसार उसने लक्ष्य प्राप्ति के लिए बाबा साहेब अंबेडकर से प्रेरणा प्राप्त की। टीआइसीसी अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए यादव ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका जाने के मामले में उन्होंने हस्तक्षेप किया।

---

'अधिकारी मुझसे बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार करते थे। उच्च शिक्षा के लिए छुट्टी देने से इनकार कर दिया जाता। एमए करने के दौरान दक्षिण अफ्रीका जाने के लिए भी अवकाश नहीं दिया गया, अनुसूचित जाति आयोग के हस्तक्षेप से अवकाश मंजूर हुआ था'

सुनील यादव

संबंधित अन्य खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.