साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस नहीं कर सकते लेखक : हाई कोर्ट
कलबुर्गी की हत्या पर सरकार को उदासीन बने रहने और असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए 38 लेखकों ने पुरस्कार वापस किए थे।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बड़े विचार-विमर्श के बाद लेखकों को साहित्य अकादमी पुरस्कार दिए जाते हैं। लेखक इन्हें वापस नहीं कर सकते। यह टिप्पणी हाई कोर्ट ने सोमवार को की।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने कहा कि 2015 में अकादमी के एक्जिक्यूटिव बोर्ड ने यह तय किया था कि एक बार यह पुरस्कार देने के बाद उसे वापस नहीं लिया जाएगा। ऐसे में पुरस्कार वापस करने वालों के लिए गाइडलाइन बनाने की जरूरत नहीं है।
2015 में प्रख्यात लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या पर सरकार को उदासीन बने रहने और असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए 38 लेखकों ने पुरस्कार वापस किए थे। इन पुरस्कारों की वापसी का विरोध करते हुए एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब साहित्य अकादमी का संविधान पुरस्कार वापस लेने की इजाजत ही नहीं देता तो इस मुद्दे पर विचार करने का कोई औचित्य ही नहीं है।
पेश मामले में वकील हाजी मोहम्मद माजिद कुरैशी और एक धार्मिक संगठन ने यह याचिका दायर की थी। दोनों ने अपील की थी कि जिन लेखकों ने पुरस्कार वापस किए हैं, उन्हें पुरस्कार राशि और पुस्तकों की बिक्री से मिलने वाली रॉयल्टी भी वापस करनी चाहिए। साथ ही पूछा कि पुरस्कार वापस करने वाले लेखकों पर कार्रवाई की जाए। वकील और धार्मिक संगठन का कहना है कि पुरस्कार वापसी संबंधी गाइडलाइन भी बनाई जाए। इससे पूर्व कोर्ट ने केंद्र सरकार से पुरस्कार वापस करने संबंधी क्या दिशा निर्देश तय है और क्या उसे तोड़ा गया है, इस बारे में जवाब मांगा था। साथ ही लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या की भी जांच रिपोर्ट मांगी थी। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि पुरस्कार वापस करने वाले लेखकों ने रॉयल्टी नहीं लौटाई है।
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