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सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया सुब्रत राय की रिहाई का अनुरोध

पिछले दस महीनों से तिहाड़ जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत राय को फिर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी रिहाई ही नहीं, जेल के बजाय नजरबंदी में रखने की मांग भी खारिज कर दी। शीर्ष अदालत की जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 03:59 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 12:39 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया सुब्रत राय की रिहाई का अनुरोध

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले दस महीनों से तिहाड़ जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत राय को फिर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी रिहाई ही नहीं, जेल के बजाय नजरबंदी में रखने की मांग भी खारिज कर दी। शीर्ष अदालत की जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे पहले ही साफ कर चुके हैं कि रिहाई के लिए रखी गई शर्तों में कोई भी बदलाव नहीं करने वाले। मामले में अगली सुनवाई नौ जनवरी को होगी।

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यह पीठ निवेशकों को पैसा वापस करने के मामले में सेबी व सहारा के बीच लंबित विवाद की बुधवार को सुनवाई कर रही थी। निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम नहीं लौटाने की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत राय को इस साल मार्च में जेल में डाल दिया था। इसके साथ ही रिहाई के लिए 10,000 करोड़ रुपये की शर्त भी लगा दी थी।

सुनवाई के दौरान सहारा के वकील राजीव धवन ने कहा कि सुब्रत और कंपनी के दो अन्य निदेशक पिछले दस महीनों से जेल में हैं। कंपनी ने कोर्ट की ओर से रिहाई के लिए रखी गई 80 फीसद शर्त का पालन कर दिया है। जब तक बाकी का पालन होता है, तब तक सिर्फ दो ही महीने के लिए रिहाई दे दी जाए। जब कोर्ट राजी नही हुआ तो धवन ने जेल के बजाय नजरबंदी में ही भेजने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी मांग ठुकरा दी गई।

पीठ ने कहा कि वे पहले ही साफ कर चुके हैं कि आदेश में बदलाव नहीं करेंगे। हां, आदेश के पालन के लिए जो सहूलियतें चाहिए, कोर्ट देने को तैयार है। सहारा ने बुधवार को अदालत में जोधपुर की प्रॉपर्टी बेचने से मिली 77.80 करोड़ रुपये की रकम का चेक सेबी को सौंपा। इसके अलावा 1,885.07 करोड़ की रकम के 21 पोस्ट डेटेड चेक भी सौंपे।

बिजनेस बंद करने की मंशा नहींः

सहारा ने जब शीर्ष अदालत से रोजाना का कारोबार चलाने के लिए खातों के संचालन की अनुमति मांगी तो पीठ ने कहा कि उनकी मंशा सहारा का कारोबार बंद करने की नहीं है। न ही कोर्ट ने उस पर कोई रोक लगाई है। कंपनी अर्जी दाखिल कर बताए कि उसे रोजाना का कारोबार चलाने के लिए किन खातों के संचालन की अनुमति चाहिए है, कोर्ट उस पर विचार करेगा।

लंदन व न्यूयॉर्क के तीन होटलों को दूसरे कर्जदार के पास गिरवीं रखने और जूनियर लोन लेने की सहारा की अर्जी पर कोर्ट ने कहा कि वह पहले न्यायमित्र और सेबी के वकीलों के सवालों का जवाब दे, तभी उसकी अर्जियों पर आदेश दिया जा सकता है।

हालांकि अदालत ने साफ किया कि विदेश से आने वाला धन फेमा कानून की मंजूरी के आधीन होगा। इसके लिए रिजर्व बैंक से पहले मंजूरी लेनी होगी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने सेबी से निवेशकों का पैसा वापस करने के बारे में सहारा की ओर से दिए गए दस्तावेजों की जांच की कैफियत भी पूछी। कोर्ट सेबी के आदेश के खिलाफ दाखिल सहारा की अपील पर नौ जनवरी को सुनवाई के लिए भी राजी हो गया है।

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