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कुंभ मेला 2019: साधु-संतों की माला भी कराती है उनकी पहचान

कुंभ में आए साधु-संतों में माला का भी विशेष महत्व है। अलग-अलग मत, पंथ और संप्रदाय के साधु-संत अलग-अलग तरह की माला पहनते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 01:47 PM (IST)
कुंभ मेला 2019: साधु-संतों की माला भी कराती है उनकी पहचान
कुंभ मेला 2019: साधु-संतों की माला भी कराती है उनकी पहचान

कुंभ नगर, जागरण संवाददाता। कुंभ में आए साधु-संतों में माला का भी विशेष महत्व है। अलग-अलग मत, पंथ और संप्रदाय के साधु-संत अलग-अलग तरह की माला पहनते हैं। वैष्णव संप्रदाय में अधिकांश महात्मा जहां तुलसी की माला पहनते हैं, वहीं शैव संप्रदाय के संत-महात्मा रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं। उदासीन अखाड़े के संतों में माला की कोई बाध्यता नहीं है। अखाड़ा या उपसंप्रदाय के साधु-संत भी अपनी तरह से माला धारण करते हैं। नागा संन्यासी नियमित रूप से गेंदे की माला धारण करते हैं। साधु-संत कमंडल, चिमटा और त्रिशूल भी साथ रखते हैं।

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कुंभ मेला में विभिन्न संप्रदाय के साधु-संत अलग-अलग तरह की मालाएं धारण किए नजर आ रहे हैं। मत, पंथ और संप्रदाय के हिसाब से इनकी महत्ता है। वैष्णव संप्रदाय में तुलसी और शैव संप्रदाय में रुद्राक्ष की माला चलती है। वहीं कई ऐसे साधु-संत हैं जो सोने में जड़े रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए हैं। वहीं कुछ स्फटिक की माला पहने हैं। इन सबसे अलग ज्यादातर नागा संन्यासी नियमित रूप से गेंदे की माला पहन रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो गले और सिर में रुद्राक्ष की ढेर सारी माला धारण किए हुए हैं। इसके साथ साधु-संतों में कमंडल, त्रिशूल या चिमटा भी साथ रखने की परंपरा है। धातु और लौकी के कमंडल का उपयोग भी साधु करते हैं। नागा साधुओं को योद्धा भी माना जाता है। कई साधु शस्त्र के रूप में तलवार, त्रिशूल, फरसा साथ रखते हैं।

महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े स्वामी डॉ.बृजेश शास्त्री कहते हैं कि वैष्णव मंत्रों के जप के लिए तुलसी की माला श्रेष्ठ मानी गई है। गणोश जी के मंत्र के लिए हाथी दांत की माला का विधान है सो कई महात्मा हाथी दांत की भी माला धारण करते हैं। बताया कि त्रिपुर सुंदरी की मंत्र साधना के लिए रक्त चंदन अथवा रुद्राक्ष को श्रेष्ठ माना जाता है।


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