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देश का सबसे बड़ा एफडीआई सौदा, रसियन ग्रुप ने 12.9 अरब डॉलर में खरीदा एस्सार ऑयल

एस्सार ऑयल ने रूसी कंपनी के साथ बिक्री सौदा पूरा कर लिया है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 21 Aug 2017 05:33 PM (IST)Updated: Mon, 21 Aug 2017 06:06 PM (IST)
देश का सबसे बड़ा एफडीआई सौदा, रसियन ग्रुप ने 12.9 अरब डॉलर में खरीदा एस्सार ऑयल
देश का सबसे बड़ा एफडीआई सौदा, रसियन ग्रुप ने 12.9 अरब डॉलर में खरीदा एस्सार ऑयल

नई दिल्ली (जेएनएन)। रुईया बंधुओं के एस्सार ऑयल ने अपने भारतीय कारोबार को रूसी कंपनी रोसनेफ्ट को 12.9 अरब डॉलर (करीब 83 हजार करोड़ रुपए) में बेचने के लिए बिक्री सौदा पूरा कर लिया है। इस सौदे की शुरुआत पिछले वर्ष भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति में हुई थी गौरतलब है कि इस बड़ी डील का एलान बीते साल गोवा में आयोजित हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान 15 अक्टूबर को किया गया था।

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डील में क्यों हुई इतनी देरी:

घोषणा के ठीक 10 महीने बाद इस डील को अंतिम रूप दिया गया है। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस डील में इतनी देरी कैसे हुई। जानकारी के मुताबिक यह देरी एस्सार आयल को कर्ज देने वाले बैंकों ने कंपनी पर अपने 45 हजार करोड़ रुपए से अधिक के बकाया चुकाने की मांग की थी। इसे ही देरी की प्रमुख वजह बताया जा रहा है।

भारत में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश:

आपको बता दें कि एस्सार ऑयल लिमिटेड भारत में निजी क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है। इसे अब रूस की कंपनी रोजनेफ्ट ने खरीद लिया है। इस सौदे को रूस के लिए अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश एवं भारत में आनेवाला अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) माना जा रहा है।

डील में क्या कुछ शामिल:

इस सौदे में रूसी कंपनी के नेतृत्व वाले संघ, जिनमें तेल बिडको भी शामिल है और ट्राफिगुरा-यूसीपी के नेतृत्व में एक निधि शामिल हैं। सौदे में गुजरात में वाडिनार में 20 मिलियन टन की रिफाइनरी की बिक्री, एक कैप्टिव पावर प्लांट, कैप्टिव बंदरगाह और 3,500 से अधिक पेट्रोल पंप शामिल है।

कर्ज अदायगी पर क्या बोले रुईया:

कंपनी के निदेशक प्रशांत रुईया ने बताया कि फर्म अपने कर्जदाताओं को जिसमें एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, आईडीबीआई बैंक और स्टैंडर्ड चार्टेड समेत अन्य बैंक शामिल हैं को 70,000 करोड़ रुपए का भुगतान कर देगा। इससे कंपनी पर कर्ज का बोझ 60 फीसद से अधिक घट जाएगा।


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