भारत की कूटनीतिक जीत, रूस ने पाकिस्तान के साथ रद की हेलीकॉप्टर डील
उड़ी हमले के बाद भारत के कूटनीतिक दबाव के चलते रूस ने पाकिस्तान के साथ एम-35 हेलीकॉप्टर डील रद कर दी है। इसके साथ ही रूस ने पाक के साथ होने वाली ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज भी रद कर दी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। जम्मू कश्मीर के उड़ी में सेना मुख्यालय पर हुए हमले के बाद भारत का बनाया कूटनीतिक दबाव अब रंग लाने लगा है। इस हमले को लेकर पाकिस्तान की चौतरफा आलोचना हो रही है। यूएन महासचिव बान की मून ने भी इस हमले की कठोर शब्दों में निंदा की है। वहीं रूस ने पाकिस्तान के साथ होने वाली ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज करने से मना कर दिया है। दोनों देशा के बीच यह एक्सरसाइज पाक अधिकृत कश्मीर में अगले माह होनी थी। वहीं एक कदम आगे बढ़कर MI-35 हेलीकॉप्टर डील को भी रद कर दिया हैै। हालांकि सौदे के तहत रूस पाकिस्तान को तीन हेलीकॉप्टर बेच चुका है। रूस के इस फैसले के बाद पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। रूस के इस कदम को भारत की पाकिस्तान को अंतराष्ट्रीय मंच अलग-थलग करने नीति के तहत अहम माना जा रहा है।
यूएन में गूंजेगा उड़ी हमला
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी भारत अब पाकिस्तान को उड़ी हमले और बलूचिस्तान पर घेरने की पूरी कोशिश करेगा। इस महासभा को भारत की तरफ से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संबोधित करेंगी। उड़ी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को इसके सबूत भी सौंपे हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इसको भारत द्वारा रचा गया हमला बताकर पल्ला झाड़ लिया है। वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने एक बार फिर से भारत पर परमाणु हमला करने की धमकी भी दी है।
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भारत की कूटनीतिक रणनीति
गौरतलब है कि रविवार को हुए उड़ी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। वहीं सेना ने इस हमले में शामिल चार आतंकियों को भी ढेर कर दिया था। इस हमले के बाद जहां सेना में गुस्सा है वहीं सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वह इस हमले के दोषियों को माफ नहीं करेगी। हमले के बाद बुलाई गई आपात बैठक में यह भी साफ कर दिया गया है कि भारत इस मसले पर कूटनीतिक दबाव बनाकर पाकिस्तान को अलग-थलग करने का काम करेगा। वहीं भारत ने अंतरराष्ट्रीय जगत और यूएन से पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने की मांग भी की है।
उड़ी हमले पर आपात बैठक
इस मुद्दे पर दो दिन लगातार गृहमंत्री के आवास पर हुई बैठक और इसके बाद गृहमंत्री और पीएम मोदी के बीच हुई बैठक में भी यह बात साफ कर दी गई थी कि भारत अपने शहीद जवानों की मौत का बदला जरूर लेगा, लेकिन इस बार वक्त और जगह हम तय करेंगे। इस बात की जानकारी खुद डीजीएमओ ने दी।
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