पिछड़ा आयोग के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा
सदन की बैठक शुरु होते ही सपा नेता रामगोपाल यादव इस मुद्दे को जोरशोर से उठाना शुरु किया। इसी बीच उनकी पार्टी के सदस्यों ने हंगामा करना शुरु कर दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा आयोग को खत्म करने का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी समेत दूसरे विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। सपा सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए आसन के समीप पहुंच गये। इसके चलते सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए बाधित रही। हालांकि सरकार ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया।
सदन की बैठक शुरु होते ही सपा नेता रामगोपाल यादव इस मुद्दे को जोरशोर से उठाना शुरु किया। इसी बीच उनकी पार्टी के सदस्यों ने हंगामा करना शुरु कर दिया। उपसभापति पीजे कुरियन के शांत रहने और अपने आसन पर लौटने के आग्रह को भी उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। इसी दौरान सदन में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की संवैधानिक स्थिति बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का निर्णय किया है। जिससे उसे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग की तरह ही अधिकार मिल जाएंगे।
इससे पहले रामगोपाल यादव ने कहा कि इस आयोग की जगह राष्ट्रीय सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग (एनएसईबीसी) बनेगा। आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह दलितों को मिल रहे आरक्षण के साथ एक बड़ी साजिश के तहत किया जा रहा है। सपा नेता ने कहा कि नया आयोग अन्य पिछडा वर्ग की सूची में शामिल किये जाने वाले और सूची से हटाये जाने वाले अनुरोधों की जांच करेगा और आवश्यक सिफारिश करेगा।
उन्होंने कहा कि यादव, कुर्मी, लोध और कुशवाहा आदि पिछडे़ समुदायों ने कुछ सामाजिक प्रगति की है, जिसके बाद उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची से हटाया जा सकता है। बसपा और कांग्रेस के सदस्यों ने यादव की बात का समर्थन किया। लेकिन यादव के बयान को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। उप सभापति कुरियन ने कहा कि मंत्री ने स्पष्ट जवाब दे दिया है इसलिए विरोध का कोई कारण नहीं है। 'आपकी चिंता जायज है जिससे मैं सहमत हूं, लेकिन मंत्री ने स्पष्ट जवाब दे दिया है।