आरटीआइ और पीआइएल देश के लिए बड़ी समस्या
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने आरोप लगाया है कि आरटीआइ और पीआइएल का दुरूपयोग हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में मौजूदा जुर्माने को बढ़ाने की मांग की।
दिल्ली। राज्यसभा में आज कई सदस्यों ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) और जनहित याचिका (पीआईएल) को देश के लिए बड़ी समस्या बताया। वहीं सपा के नरेश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून ‘‘अमेरिका के दबाव’’ में पारित किया गया था। अग्रवाल ने कहा कि आरटीआई और पीआईएल (जनहित याचिका) देश के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं और कई विभागों ने अनुरोध किया है कि उन्हें इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाए। इसका कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश ने प्रतिवाद किया। इस विषय को लेकर अग्रवाल और रमेश के बीच नोंकझोंक भी हुई।
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने भी आरोप लगाया कि इसका दुरूपयोग हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में मौजूदा जुर्माने को बढ़ाने की मांग की। विभिन्न सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने के बीच कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसका संज्ञान लिया गया है और कुछ नियम पहले से ही हैं। उन्होंने कहा कि इसमें और प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं। पारदर्शिता के मुद्दे पर सरकार के गंभीर होने का दावा करते हुए सिंह ने कहा कि पहली बार आरटीआई अधिकारियों के सभी खाली पदों को भरा गया है। उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान कई सदस्यों द्वारा आरटीआई के दुरूपयोग को लेकर चिंता जताए जाने पर सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार के लिए तैयार है।
राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति 10 रूपए देकर किसी भी महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी ‘‘पनवाड़ी या चाय वाला’’ भी मिसाइल कार्यक्रम के बारे में जानकारी मांग सकता है। सदन में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके बगल में बैठे वित्त मंत्री अरूण जेटली सहित कई सदस्य उनकी इस टिप्पणी पर मुस्कुराते दिखे। मोदी कई बार अपने को ‘‘चाय वाला’’ बताते रहे हैं। स्थिति को देखते हुए पटेल ने अपनी टिप्पणी में संशोधन करने का प्रयास किया और कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को मन में रखकर यह टिप्पणी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि उनके मन में प्रधानमंत्री के प्रति काफी सम्मान है। पटेल ने कहा कि इस कानून के तहत सरकारी अधिकारी तक फैसला करने से पहले सोचते हैं और वे आरटीआई के भय में रहते हैं।
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