सामने आया RSS का नया 'गणवेश', अब खाकी निकर में नहीं दिखेंगे कार्यकर्ता
यह फुलपैंट खाकी हाफपैंट की जगह लेंगी।आरएसएस सदस्य पिछले 90 सालों से खाकी हाफपैंट पहन रहे हैं। दशहरे पर 11 अक्टूबर को संघ के सदस्य हाफपैंट की जगह फुलपैंट अपना लेंगे।
जेएनएन, नई दिल्ली । दस हजार खाकी फुलपैंटों की पहली खेप सोमवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के नागपुर स्थित मुख्यालय पर उसकी दुकान पर पहुंच गई। इसी दुकान से स्वयंसेवकों को गणवेश की बिक्री की जाती है। प्रत्येक पैंट की कीमत 250 रुपये है। यह फुलपैंट खाकी हाफपैंट की जगह लेंगी।आरएसएस सदस्य पिछले 90 सालों से खाकी हाफपैंट पहन रहे हैं। दशहरे पर 11 अक्टूबर को संघ के सदस्य हाफपैंट की जगह फुलपैंट अपना लेंगे।
दरअसल, संघ ने करीब दस साल तक चली बहस और सर्वे के बाद गणवेश बदलने का फैसला इसी साल की शुरुआत में लिया था। संघ के एक 12 सदस्यीय दल ने देशभर का दौरा करके इस बारे में विचार भी जाने थे। अब खाकी फुलपैंट के साथ सफेद शर्ट, काली टोपी, ब्राउन मोजे और बांस की लाठी गणवेश में शामिल होगी। पहले पैंट का रंग बदलकर ग्रे करने पर भी विचार किया गया था, लेकिन सहमति इस बात पर बनी कि वषरें से संघ के साथ जुड़े खाकी रंग के राजनीतिक प्रतीक के कारण इसे नहीं छोड़ा जा सकता।
बता दें कि इससे पहले संघ ने 2011 में अपने गणवेश में लेदर बेल्ट की जगह मोटी कैनवास बैल्ट को शामिल किया था। शुरुआत में संघ के गणवेश में खाकी शर्ट और खाकी हाफपैंट शामिल थी, लेकिन 1940 में खाकी शर्ट की जगह सफेद शर्ट शामिल कर ली गई थी।
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