चीनी सामान के खिलाफ भी मुखर होगा संघ, वाराणसी से शुरू होगा अभियान
चीनी वस्तुओं के बहिष्कार अभियान का आगाज स्वदेशी जागरण मंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से करेगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनडीए सरकार की रीति-नीति पर अपना प्रभाव रखने वाला संघ परिवार अब चीन की सामरिक दबंगई ही नहीं उसकी कारोबारी दादागीरी के खिलाफ आवाज बुलंद करेगा। संघ परिवार का प्रमुख संगठन स्वदेशी जागरण मंच अपनी इस रणनीति को जमीन पर उतारने के लिए चीन की बनी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए इसकी होली जलाने का व्यापक अभियान शुरू करने जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि चीनी वस्तुओं के बहिष्कार अभियान का आगाज स्वदेशी जागरण मंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से करेगा।
राष्ट्रीय स्वेदशी सुरक्षा अभियान के तहत 28 जून से वाराणसी से शुरू हो रही तीन महीने की स्वदेशी संकल्प यात्रा के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहरों-कस्बों में रोजाना चीन के सामान की होली जलाई जाएगी। चीनी वस्तुओं के खिलाफ इस जागरूकता अभियान का आगाज भी वाराणसी में चीन के उत्पादों से बने 20 फुट लंबे पुतले के दहन से होगा। इस संकल्प यात्रा की रूपरेखा बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने में मुख्य भूमिका निभा रहे स्वदेशी जागरण मंच के पूर्वी उत्तरप्रदेश के संगठक अजय कुमार के अनुसार चीनी सामानों की होली जलाने का मकसद बाजारों में चीनी वस्तुओं की बाढ़ को रोकना है। उनका कहना है कि वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण इन तीनों से ऊर्जा हासिल कर चीन मोटा होता जा रहा है। इन नीतियों का फायदा उठाकर चीन अपने सामानों से बाजार ही नहीं स्वदेशी छोटे-मझोले उद्योगों को भी तबाह कर रहा है। अजय कुमार के मुताबिक इसीलिए संघ विचार परिवार ने इस पूरे विषय पर गहन मंत्रणा के बाद चीनी वस्तुओं के खिलाफ लोगों में बहिष्कार की भावना जागृत करने का निर्णय लिया है। ताकि लोग खुद दुकानों पर यह पूछने लगें कि यह चीन में बना सामान तो नहीं। संघ विचार परिवार में स्वदेशी जागरण मंच समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तमाम संगठन आते हैं। लोगों को इस संकल्प से जोड़ने के लिए चीन की लगातार बढ़ रही सामरिक दादागीरी के साथ 1962 के अपमान का बदला लेने की बात भी प्रमुखता से उठाई जाएगी।
इस लिहाज से चीनी वस्तुओं के खिलाफ मुखर अभियान के अपने सियासी मायने हैं। संघ परिवार का यह भी मानना है कि उदारीकरण की नीतियों पर भी मौजूदा हालात में समीक्षा की जरूरत है। क्योंकि खुले बाजार में वैश्विक पूंजी आने से गांवों और किसानों की आर्थिक हालत बदलने के अर्थशास्त्रियों के दावे सही साबित नहीं हुए हैं। स्वदेशी संकल्प रथयात्रा के शुरू होने के मौके पर इस लिहाज से भी संदेश दिया जाएगा। इसीलिए 20 फूट के बने चीनी वस्तुओं के पुतले के तीन चेहरे वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण होंगे।
अजय कुमार ने बताया कि तीन महीने की इस यात्रा के दौरान शहरों-कस्बों के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो हजार से अधिक गांवों तक पहुंचा जाएगा। 28 सितंबर को यह यात्रा बलिया में पूरी होगी और दशहरे के मौके पर वाराणसी में चीनी वस्तुओं से बने रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले दहन कर अभियान को गति दी जाएगी। चीनी सामान के बहिष्कार के इस संकल्प अभियान को 29 अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में व्यापक राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाएगा। संघ परिवार की इसके लिए रामलीला मैदान में लाखों लोगों की भीड़ जुटाने की पूरी तैयारी है।
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