मैसूर को मिला 27वां राजा, जानिए अब क्या है राजतंत्र की भूमिका
मैसूर राजघराने को नया राजा मिल गया है और यदुवीर वडियार का 27वें राजा के रूप में राजतिलक किया गया, जानिए लोकतांत्रिक भारत में राजतंत्र कि क्या भूमिका है?
मैसूर। मैसूर राजघराने के लिए गुरुवार का दिन बहुत खास रहा। 1399 से चले आ रहे मैसूर के रियासत को नया राजा मिला। नए राजा यदुवीर वडियार का बेंगलुर से 150 किलोमीटर दूरे अंबा विला पैलेस में राजतिलक किया गया।
23 वर्षीय यदुवीर अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाचुएट्स से इंग्लिश और इकॉमिक्स की डिग्री लेकर लौटे हैं और मैसूर राजघराने के 27वें राजा बने हैं। एक निजी समारोह में यदुवीर का राजतिलक किया गया, जिसमें राजपरिवार के सदस्यों के साथ-साथ पुरोहित और महल के कर्मचारी शरीक हुए।
वाडियार राजघराने का इतिहास 1399 से चला आ रहा है। तब राजघराने ने मैसूर पर राज करना शुरू किया था। तब से अब तक राजा की घोषणा होती आई है। राजा बनते ही यदुवीर कृष्णदात्ता चामराजा वाडियार कहलाने लगे। तृषिका कुमारी नाम की एक लड़की के साथ उनकी सगाई हो चुकी है।
दो साल से खाली थी राजा की गद्दी
गौरतलब है कि वाडियार राजघराने ने 1399 से मैसूर पर राज करना शुरू किया था। तब से राजा की घोषणा होती आई है। पिछली बार 1974 में राजतिलक हुआ था। तब यदुवीर के चाचा श्रीकांतदत्ता नरसिम्हा वाडियार को गद्दी पर बैठाया गया था। 2013 में उनका निधन हो गया था। तब से राजा का पद खाली था। श्रीकांतादत्ता नरसिम्हा राजा वाडियार और रानी गायत्री देवी को संतान नहीं है। आज राजपरिवार में 1200 से अधिक सदस्य हैं।
यह भी पढ़ें - दो साल से खाली मैसूर की गद्दी को मिला नया राजा
भारतीय लोकतंत्र में राजतंत्र की भूमिका
भारत अब एक लोकतांत्रिक देश है और यहां राजवंश खत्म हो गया है। राजवंश का राजतिलक एक निजी कार्यक्रम माना जाता है। अब शासन चलाने में भले ही राजवंशों की कोई भूमिका न बची हो, लेकिन अब भी मैसूरवासी महल में होने वाली गतिविधियों पर चाव से नजर रखते हैं।
अमेरिका के पूर्वी किनारे पर स्थित एक यूनिवर्सिटी से लेकर अंबा विलास पैलेस मैसूर में राज्याभिषेक तक, 23 साल के यदुवीर का सफर बेहद दिलचस्प है। इस साल मैसूर दशहरा की अगुवाई यदुवीर करेंगे और साथ-साथ कर्नाटक सरकार के साथ लंबे समय से चल रहे राजपरिवार की संपत्ति विवाद की कानूनी लड़ाई भी उनकी ही देख रेख में होगी। यदुवीर का कहना है कि वह भारत में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहते हैं।
मैसूर को मिला नया राजा यदुवीर वडियार, देखें तस्वीरें
मैसूर का महल
मैसूर शहर के बिल्कुल केंद्र में स्थित मैसूर का महाराजा पैलेस मैसूर शहर का आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। इस किले में सात दरवाजे हैं। इसका निर्माण मैसूर राज्य के वाडियार महाराजाओं ने कराया था। पहली बार यहां लकड़ी का महल बनवाया गया था। जब लकड़ी का महल जल गया था, तब इस महल का निर्माण कराया गया।
मैसूर के महाराजा के महल का निर्माण कई बार किया गया। वर्तमान महल का निर्माण 1912 में किया गया था। इस महल का नक्शा ब्रिटिश आर्किटैक्ट हेनरी इर्विन ने बनाया था। कल्याण मंडप की कांच से बनी छत, दीवारों पर लगी तस्वीरें और स्वर्णिम सिंहासन इस महल की खासियत है। बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है।
यह भी पढ़ें - लंदन में होगी टीपू सुल्तान के बेशकीमती शस्त्रों और कवच की नीलामी