शुद्ध किए बिना नदियों का पानी पीना खतरनाक
सरकार ने देश भर में नदियों के जल के शुद्धीकरण के विभिन्न प्रयास किए हैं, लेकिन इसका पेयजल के रूप में इस्तेमाल करना खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल, द इनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि शोधन किए बिना नदियों का
नई दिल्ली। सरकार ने देश भर में नदियों के जल के शुद्धीकरण के विभिन्न प्रयास किए हैं, लेकिन इसका पेयजल के रूप में इस्तेमाल करना खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल, द इनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि शोधन किए बिना नदियों का पानी पीने योग्य नहीं है।
टेरी ने यह सर्वेक्षण देश की सात प्रमुख नदियों पर कराया है। इसमें राजधानी दिल्ली में यमुना सहित, कटक में महानदी, डिब्रूगढ़ (असम) में ब्रह्मपुत्र, जबलपुर (मध्य प्रदेश) में नर्मदा, सूरत (गुजरात) में ताप्ती, वाराणसी में गंगा और विजयवाड़ा में कृष्णा नदी शामिल हैं।
सर्वेक्षण में 84 फीसद लोगों ने कहा कि बिना शुद्धीकरण इन नदियों का पेयजल के रूप में उपयोग सुरक्षित नहीं है। वहीं, 46 फीसद का मानना है कि शहर से गुजरने वाली नदियों के जल की गुणवत्ता बिल्कुल खराब है। हालांकि 18 फीसद इससे इत्तेफाक नहीं रखते और नदियों के जल को साफ-सुधरा मानते हैं।
सर्वेक्षण कहता है, 'सर्वे में शामिल 56 फीसद लोगों ने बताया कि नदी के चारों ओर की हवा में बहुत दुर्गंध रहती है। हालांकि 24 प्रतिशत को कोई बदलाव समझ नहीं आया, जबकि 17 फीसद का कहना है कि वातावरण पहले से बेहतर हुआ है।
सर्वे में शामिल करीब-करीब 93 फीसद लोगों ने शहर के सीवेज को नदियों के लिए गंभीर खतरा बताया है। वहीं, 92 फीसद का कहना है कि नदियों में छोड़े जाने से पहले सीवेज को उचित ढंग से साफ किया जाना चाहिए।