फलदान की रस्म में राजनीति का चटख रंग
वैसे तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी के फलदान समारोह में बिहार व उत्तर प्रदेश के दिग्गज राजनेता जुटे थे, लेकिन शादी से जुड़ी इस रस्म में राजनीति का चटख रंग भी देखने को मिला। जैसे ही मीडिया ने अतीत की यादें कुरेदनी शुरू की, दोनों तरफ
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वैसे तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी के फलदान समारोह में बिहार व उत्तर प्रदेश के दिग्गज राजनेता जुटे थे, लेकिन शादी से जुड़ी इस रस्म में राजनीति का चटख रंग भी देखने को मिला। जैसे ही मीडिया ने अतीत की यादें कुरेदनी शुरू की, दोनों तरफ से जवाब मिला- छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी। सांसद पप्पू यादव ने कहा, बीत गई सो बात गई। जबकि लालू यादव ने कहा, समय बलवान होता है। अब हम एक हो रहे हैं। हमारे गठबंधन के आगे भाजपा इस बार पूरी तरह परास्त हो जाएगी। धर्म परिवर्तन की हवा बनाकर देश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से जब उनके प्रधानमंत्री बनने में लालू द्वारा बाधा उत्पन्न करने को लेकर दिए गए बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मैंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया। हम आगे की सोच रहे हैं। यह शुभ अवसर है। दरअसल उत्तर प्रदेश के सैफई में सोमवार को एक कार्यक्रम में लालू यादव से रिश्तेदारी होने पर चुटकी लेते हुए मुलायम यादव ने कहा था कि जिनकी वजह से कभी वह (मुलायम) प्रधानमंत्री बनने से रह गए थे, अब वह हमारे रिश्तेदार होने जा रहे हैं। यही सवाल जब लालू यादव से किया गया तो उन्होंने भी इन्कार कर दिया। कहा कि मुलायम ने कभी उनके बारे में ऐसा नहीं कहा। लालू ने कहा कि इस रिश्ते से उत्तर प्रदेश व बिहार की राजनीति को नया आयाम मिलेगा। जनता परिवार ने इस बार सांप्रदायिकता के जबड़े को उखाड़ फेंकने की तैयारी कर ली है। काला धन वापस लाने के वादे से मुकरने वाली केंद्र सरकार के खिलाफ हम लोग 22 दिसंबर से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठने वाले हैं।
जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने भी मुलायम के प्रधानमंत्री न बन पाने वाले बयान पर कहा कि यह बहुत पुरानी बात है। अब हमें इसे भूल जाना चाहिए। सांसद पप्पू यादव ने कहा कि इस मौके पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि राजलक्ष्मी को राजनीति में आना चाहिए या नहीं, यह फैसला उसी पर छोड़ देना चाहिए। राजद नेता रघुवंश प्रसाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए देश भर के धर्मनिरपेक्ष दलों को एक होना होगा। यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।