हादसे रोकने को बढ़ी रेलवे बोर्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी
पटरियों के रखरखाव को सीधे तौर पर देखेंगे अध्यक्ष, कामों का नए सिरे से हुआ बंटवारा...
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। निजाम बदलने के साथ ही रेलवे में हादसों पर लगाम लगाने के नए उपायों पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत रेलवे बोर्ड अध्यक्ष व सदस्यों की जिम्मेदारियों का नए सिरे से बंटवारा किया गया है। पुरानी रेल पटरियों के नवीनीकरण और रखरखाव पर अधिक ध्यान देने के लिए अध्यक्ष को कम महत्वपूर्ण दायित्वों से मुक्त किया गया है। वे अब कारखानों और पीएसयू की निगरानी नहीं करेंगे। यह जिम्मेदारी सदस्य निभाएंगे।
कारखानों के महाप्रबंधकों से भी अध्यक्ष के बजाय संबंधित सदस्य से संपर्क में रहने को कहा गया है। चितरंजन और वाराणसी इंजन कारखानों तथा कोर के जीएम अब सदस्य-बिजली को रिपोर्ट करेंगे। जबकि चेन्नई, कपूरथला और रायबरेली की कोच फैक्टि्रयों तथा बंगलूर की रेल ह्वील फैक्ट्री के जीएम से सदस्य-चल स्टॉक को रिपोर्ट करने को कहा गया है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के जीएम (कांस्ट्रक्शन) भी सदस्य-इंजीनियरिंग (एमई) के समक्ष अपनी बात रखेंगे।
अध्यक्ष के पास अब केवल कोंकण रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड (केआरसीएल) की जिम्मेदारी रह गई है। अभी तक यह जिम्मेदारी सदस्य-इंजीनियरिंग के पास थी। ऐसा कोंकण रेलवे को भविष्य में कमाई का प्रमुख केंद्र बनाने तथा सदस्य-इंजीनियरिंग को दूसरे कार्यो के लिए मुक्त करने के मकसद से किया गया है। क्रिस के कार्यो की समीक्षा सदस्य-यातायात (एमटी) करेंगे। अभी तक यह जिम्मेदारी सदस्य-कार्मिक के पास थी। रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक को भी एमटी से संबद्ध कर दिया गया है।
पिछले निजाम में बोर्ड के चेयरमैन एके मितल ने कई सदस्यों के कार्य व अधिकार अनावश्यक रूप से अपने हाथ में ले रखे थे। इससे उनके पास रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर और आपरेशंस पर ध्यान देने का वक्त ही नहीं होता था। जबकि संबंधित सदस्य शक्तिहीन महसूस करते थे। इससे रेलवे में निचले स्तर पर रखरखाव कार्यो के प्रति उदासीनता एवं लापरवाही का वातावरण पैदा हो गया था।
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