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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जलीकट्टू मामले में शनिवार से पहले नहीं होगी सुनवाई

SC ने पोंगल के दौरान खेले जाने वाले ‘जलीकट्टू’ संबंधित याचिका पर शनिवार से पहले सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। डीएमके ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

By Monika minalEdited By: Published: Wed, 11 Jan 2017 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jan 2017 04:03 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जलीकट्टू मामले में शनिवार से पहले नहीं होगी सुनवाई

चेन्नई (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जलीकट्टू से संबंधित याचिका पर शनिवार से पहले हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और कहा कि इसपर बेंच से आदेश पारित करने को कहना उचित नहीं है। बता दें कि शनिवार यानि 14 जनवरी को ही पोंगल मनाया जाएगा जिसमें खेल जलीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने और अध्यादेश की मांग की गयी थी। इस बीच डीएमके ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

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इससे पहले बुधवार को अन्नाद्रमुक की महासचिव वीके शशिकला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पत्र लिखकर सांडों के खेल जलीकट्टू पर अध्यादेश देने का आग्रह किया था । उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि इस खेल को प्रतिबंधित किए जाने से राज्य में लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। इसके अलावा मामले पर अन्नाद्रमुक सदस्य थंबीदुरई और राज्य पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने भी अध्यादेश का आग्रह किया।

जलीकट्टू के संचालन के लिए राज्य मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम द्वारा केंद्र से अध्यादेश के लिए आग्रह किए जाने के बाद शशिकला ने प्रधानमंत्री को इस मामले पर पत्र लिखा। पन्नीरसेल्वम ने सोमवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि वह परंपरागत खेल जलीकट्टू के आयोजन के लिए एक अध्यादेश लाए ताकि पोंगल त्योहार के अवसर पर इसका आयोजन सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि जानवरों के साथ किसी तरह की क्रूरता नहीं होनी चाहिए और इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है। सांड को तमिलनाडु में पूजा जाता है। जलीकट्टू पर प्रतिबंध लगाए जाने से तमिलनाडु की जनता विशेषकर युवाओं में नाराजगी है और इसे हटाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। यह खेल ग्रामीण, खेती रीतिरिवाजों और तमिलवासियों के भावनाओं से जुड़ा है।

Government can consider bringing some ordinance to see that the ritual can be conducted with the #jalikattu: M. Thambidurai, AIADMK pic.twitter.com/OUh4NLy5jX

— ANI (@ANI_news) January 11, 2017

वर्ष 2014 के मई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन पर रोक लगा दी थी। अदालत ने यह भी कहा था कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र या देश में कहीं भी सांडों को जल्लीकट्टू में एक प्रदर्शन करने वाले पशु के रूप में या बैलगाड़ी दौड़ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पोंगल पर्व में सूर्य, वर्षा और खेती में काम आने वाले जानवरों को धन्यवाद दिया जाता है। इसे 14 जनवरी को मनाया जाएगा।

शशिकला के पत्र में आगे यह भी लिखा गया है कि विशेषकर राज्य के युवा इस खेल को खेलना चाहते हैं, उनका मानना है कि यह उनका पारंपरिक अधिकार है जिसमें वे सांडों को काबू में कर अपने साहस का परिचय देते हैं। इस सब को देखते हुए मैं आपसे इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह करती हूं और पीसीए (पशु क्रूरता निवारण) एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश का आग्रह करती हूं ताकि जलीकट्टू पर से प्रतिबंध हट सके। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सप्ताहांत में पोंगल के दौरान यह खेल खेला जाएगा। उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि जलीकट्टू पर से प्रतिबंध हटना केवल तमिलनाडु को ही नहीं बल्कि दुनिया को खुशी मिलेगी और इससे लोगों को यह आश्वासन मिलेगा कि वे इस बार पोंगल को अपने पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे।

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