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पुनर्विकास: शहरी उन्नयन में दिल्ली की बड़ी छलांग

दिल्ली की सहकारी ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज़ (सीजीएचएस) को पुनर्विकास की ज़रूरत है और पूर्वी व पुरानी दिल्ली के साथ ही द्वारका, रोहिणी, मयूर विहार, पीतमपुरा, पश्चिम विहार, आई पी एक्सटेंशन, विकासपुरी जैसे कुछ क्षेत्रों में सोसायटियों का दौरा इस विचार को अधिक पुख्ता करता है क्योंकि यहां दशकों पुरानी आवासीय

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 05:42 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 06:07 PM (IST)
पुनर्विकास: शहरी उन्नयन में दिल्ली की बड़ी छलांग

दिल्ली की सहकारी ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज़ (सीजीएचएस) को पुनर्विकास की ज़रूरत है और पूर्वी व पुरानी दिल्ली के साथ ही द्वारका, रोहिणी, मयूर विहार, पीतमपुरा, पश्चिम विहार, आई पी एक्सटेंशन, विकासपुरी जैसे कुछ क्षेत्रों में सोसायटियों का दौरा इस विचार को अधिक पुख्ता करता है क्योंकि यहां दशकों पुरानी आवासीय सोसायटीज़ बहुत खराब स्थिति में हैं।

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निर्माण की खराब गुणवत्ता और कई वर्षों तक इनके रखरखाव की ज़रूरतों को नज़रअंदाज करने के कारण बेहद पाॅश इलाकों में स्थित ये आवासीय सोसायटीज़ अब खाली होती जा रही हैं। जिन कुछ सोसायटीज़ में लोग अब भी रह रहे हैं तो वे हमेशा इमारत ढहने या टूटने के डर के साये में जी रहे हैं। इस डर को और बढ़ाती है भूकंपों के
प्रति दिल्ली की संवेदनशीलता और दिल्ली में एक खतरनाक भूकंप आने के बाद उसका नतीजा क्या होगा यह सोचकर ही रूह सिहर जाती है।

इससे बचने का एक ही तरीका है तैयारी। पुनर्विकास से इस तरह के डर दूर करने में मदद मिलेगी - फिर चाहे वह मनुष्य रचित हो या फिर प्राकृतिक आपदा। अब समय आ गया है, जब भारत को पुनर्विकास को स्वीकार कर ऐसी नीति तैयार करने के लिए कदम बढ़ाने चाहिए, जो उसके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।


सर्वेक्षणों में सामने आया है कि कैसे दिल्ली में ज़्यादातर भवन ढहने के कगार पर हैं। इसके अतिरिक्त दिल्ली सीसमिक ज़ोन 4 में आती है, जो भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील इलाका होता है। दिल्ली में करीब 936 सीजीएचएस हैं, जिनमें से ज़्यादातर का निर्माण कई दशकों पहले हुआ था। दशकों पहले बनी ये सीजीएचएस न तो इस तरह की किसी स्थिति से निपटने में सक्षम हैं और ही इनकी बनावट आज की युवा आबादी की जीवनशैली की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए की गई है।

डीडीए की आवासीय सोसायटीज़ भी जीर्णशार्ण हो चुकी हैं और खराब रखरखाव और मरम्मत के कारण अब ये
सोसायटीज़ भी खाली होने लगी हैं। अब समय आ गया है कि हम रोकथाम के लिए कदम उठाएं। पुनर्विकास इसी दिशा में एक कदम है। हमें जल्दी और फैसलों के साथ आगे बढ़ना होगा, जिससे हम दिल्ली को सुरक्षित बनना सुनिष्चित कर सकें। ज़रूरी है कि सरकार प्राथमिकता के साथ सीजीएचएस के पुनर्विकास से संबंधित प्रस्ताव को अधिसूचित करे।


फिलहाल ज़्यादार सीजीएचएस में जीवनशैली के अनुरूप सुविधाएं नहीं हैं। चूंकि इन सोसायटीज़ में रखरखाव के लिए बहुत कम शुल्क लिया जाता है इसलिए सिर्फ मूलभूत सेवाएं ही उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अतिरिक्त फ्लैट मालिकों द्वारा अवैध निर्माण करने से भी साफ जगह, सौंदर्य, हवा की आवाजाही और हरियाली की कमी हुई है।

ओमैक्स लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहित गोयल कहते हैं, ’’निर्माण की खराब गुणवत्ता और नियमित रखरखाव व मरम्मत की कमी या रेनोवेशन के अभाव में ज़्यादातर आवासीय सोसायटीज़ की स्थिति बहुत खराब हो गई है। आलम यह है कि अब वे इस स्थिति में पहुंच चुकी हैं कि उनके रेनोवेशन की कोई गुंजाइश ही नहीं बची है। इन सोसायटीज़ के निवासी लगातार भूकंप की आशंका के साये में जीवन बिता रहे हैं।’’

गोयल कहते हैं, ’’दशकों पुरानी सीजीएचएस की सभी समस्याओं का जवाब इनका पुनर्विकास है। इससे मकान मालिकों को उसी इलाके में अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ रहने का मौका मिलता है और उस जगह बिताई गई यादें भी बरकरार रहती हैं लेकिन फ्लैट नया और ज़्यादा खुला हो जाता है।’’


पुनर्विकास और रेनोवेशन बिल्कुल अलग बातें हैं। पुनर्विकास में मौजूदा ढांचे को गिराकर उसकी जगह नई इमारत बनाई जाती है। सरकार की नीति इसमें अतिरिक्त एफएआर और जमीन को शामिल करने की अनुमति दे सकती है। इसका यह मतलब है कि कोई सीजीएचएस अगर पुनर्विकास कराने के बारे में सोचती है तो उस सोसायटी में भूकंपरोधी इमारतें बनेंगी, जिनमें आधुनिक तकनीक होगी, योजनागत विकास होगा, बेहतर और ज़्यादा जगह वाली आधुनिक सुविधाएं जैसे पार्क, क्लब और सामुदायिक केंद्र, पर्याप्त हरियाली, बड़ी पार्किंग जगह और लिफ्ट इत्यादि होंगी।


2021 मास्टर प्लान 2007 में जारी किया गया था। इसे जारी किए 8 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है और अभी तक एक भी सीजीएचएस/डीडीए पुनर्विकास योजना के साथ आगे नहीं आया है, जबकि अतिरिक्त एफएआर की सुविधा भी दी जा रही है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं:


पहली बात, डीडीए ने सीजीएचएस को निर्माण लागत की भरपाई के लिए अतिरिक्त घनत्व की मंजूरी नहीं दी है। इसका मतलब है कि अगर किसी सीजीएचएस में 200 फ्लैट हैं तो पुनर्विकास के तहत उन्हें सिर्फ 200 फ्लैट या इस संख्या में मामूली बढ़ोतरी की ही अनुमति दी जा रही है।

दूसरी बात, मुंबई के पुनर्विकास माॅडल का अध्ययन करने और उसे कुछ हद लागू करने की ज़रूरत है। मुंबई में सफलतापूर्वक पुनर्विकास को अंजाम दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए दिल्ली में अपार्टमेंट अधिनियम लागू नहीं है, जबकि मुंबई में यह लागू होता है। इसलिए मुंबई में अगर सीजीएचएस के 80 फीसदी मकान खरीदार भी अनुमति देते हैं तो वहां पुनर्विकास हो सकता है। इसके अतिरिक्त सहकारी समितियों के पंजीयक के पास पुनर्विकास के बाद सोसायटीज़/अपार्टमेंट इकाई जैसे फ्लैट के दस्तावेजों से जुड़े विवाद सुलझाने का अधिकार होना चाहिए। उन्हें अतिरिक्त एफएआर के इस्तेमाल के बाद नए सदस्य जोड़ने की अनुमति होनी चाहिए।


तीसरी बात, पुनर्विकास नीति को अधिसूचित करने से पहले कराधान से जुड़े कई मुद्दों का समाधान करना ज़रूरी है। इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर से जुड़े मामले शामिल हैं।

चौथी बात, बिल्डर आगे आकर पुनर्विकास परियोजनाएं हाथ में लें इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें निर्माण लागत की भरपाई के लिए राहत मिले व उनकी कर देनदारी घटाई जाए। पुनर्विकास कराने का फैसला लेते समय जीएचएस को बिल्डर की प्रतिष्ठा, डिलीवरी करने का उसका रिकाॅर्ड, उसके द्वारा दी जाने वाली गुणवत्ता और सुविधाओं की अच्छी तरह जांच कर लेनी चाहिए। इन सभी बातों से संतुष्ट होने के बाद ही बिल्डर को पुनर्विकास का ठेका देना चाहिए।

बेहतर यही रहता है कि पुनर्विकास के लिए जीएचएस एक पेशेवर डेवलपर की मदद लें। ओमैक्स लिमिटेड, भारत की अग्रणी रियल एस्टेट कंपनी है और फिलहाल दिल्ली में कई जीएचएच का दौरा कर वहां के आरडब्ल्यूए से मिलकर उन्हें पुनर्विकास के फायदों के बारे में अवगत करा रही है। इसके साथ ही पुनर्विकास के लिए
ज़रूरी सहायता देने की भी पेषकश कर रही है।


दो दशकों से अधिक का अनुभव रखने वाली ओमैक्स ने कई ऐतिहासिक रियल एस्टेट और निर्माण परियोजनाओं को पूरा किया है। अच्छी गुणवत्ता, समय पर डिलीवरी, आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और देश भर में 169 से अधिक परियोजनाओं की डिलीवरी करने के अनुभव से यह प्रतिष्ठा बनी है। आज ओमैक्स देश के रियल एस्टेट की दुनिया में जाना-माना नाम बन गया है। कंपनी का शेयर बीएसई/एनएसई पर सूचीबद्ध है और ओमैक्स का बाजार पूंजीकरण करीब 2,500 करोड़ रुपये है।

वित्त वर्ष 2015 में कंपनी की हैसियत 2,227 करोड़ रुपये थी और समूह अब कई रियल एस्टेट परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें इंटीग्रेटेड टाउनशिप, हाइटेक टाउनशिप, ग्रुप हाउसिंग, शॉपिंग माॅल, आॅफिस स्पेस, एससीओ और एंटरटेनमेंट ज़ोन शामिल हैं।


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