सहायक सिस्टम: असैनिक कर्मचारियों की तैनाती से आर्मी के कार्यबल में होगा इजाफा
भारतीय सेना पुराने सहायक सिस्टम को समाप्त करके शांत क्षेत्रों में असैनिक कर्मचारियों की भर्तियां करने पर विचार कर रही है
नई दिल्ली (एएनआई)। सहायक सिस्टम को खत्म करने के तहत शांतिपूर्ण स्थानों पर उनकी जगह असैनिक स्टाफ को नियुक्त करने पर विचार कर रहे रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि इससे सेना के कार्यबलों में इजाफा होगा।
रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल ने एएनआई को बताया, ‘आर्मी को इसपर निर्णय लेना चाहिए और यह अच्छी शुरुआत होगी। शांतिपूर्ण स्थानों पर सहायकों के बजाए असैनिक स्टाफ की तैनाती का विकल्प मैनपावर को बढ़ाने में आर्मी की मदद करेगा। भारतीय सेना औपनिवेशिक काल के सहायक सिस्टम को समाप्त करके शांत क्षेत्रों में असैनिक कर्मचारियों की भर्तियां करने पर विचार कर रही है। दरअसल जवानों द्वारा सहायक सिस्टम का विरोध करने के कई मामले सामने आ चुके हैं।‘
एक शीर्ष सेना अधिकारी ने बताया कि सहायक या बड़ी सिस्टम (जिसमें अधिकारी के साथ कोई जवान जुड़ा होता है) की तैनाती मुख्य अड्डों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जारी रहेगी क्योंकि ये सभी सैनिक कर्तव्यों को परिभाषित करता है। अधिकारी ने बताया, हम लोग शांत क्षेत्रों में सहायक सिस्टम को समाप्त करके असैनिक कर्मचारियों की भर्तियां करने पर विचार कर रहे हैं।
पत्रकार राहुल जलाली ने एएनआई को बताया, ‘सहायक सिस्टम पर लंबे समय से विचार हो रहा है जिसमें अब कार्रवाई की जरूरत है। लंबे समय से आर्मी इसपर विचार कर रही है और इसे जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। फिलहाल इसका विकल्प तलाशा जा रहा है। सोमवार को वरिष्ठ आर्मी ऑफिसर ने कहा सहायकों जिनसे जवान जुड़े हैं उनकी तैनाती महत्वपूर्ण बेस व फील्ड एरिया में रहेगी। हम शांतिपूर्ण स्थानों पर सहायकों की जगह असैनिक स्टाफ का विकल्प देख रहे हैं।‘
हाल के महीनों में कई ऐसी वीडियोज सामने आए, जिसमें सेना के जवानों ने सहायक सिस्टम पर अपना क्रोध जताते हुए उनके खिलाफ आवाज उठाई है। वहीं, उनमें से कई जवानों का आरोप था कि अधिकारी उनके साथ नौकर की तरह व्यवहार करते हैं। अधिकारी ने बताया कि शांत क्षेत्रों में सहायकों के बदले असैनिक कर्मचारियों की तैनाती से सेना में कार्यबलों की कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सेना इस विकल्प के कई पक्षों को परख रही है। उन्होंने जोर दिया कि फील्ड यूनिट से सहायकों को नहीं हटाया जा सकता है।
मार्च में सेना में सहायक सिस्टम के बचाव में सरकार मजबूती से अड़ी थी। सरकार का कहना था कि युद्ध और शांति के दौरान अधिकारियों को ड्यूटी के लिए तैयार होने में सहायक जरूरी मदद करते हैं। वहीं, सरकार ने सहायकों से ऐसा कोई काम नहीं कराने को कहा था, जिससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती हो। सहायक वे जवान होते हैं जिनकी डयूटी में अधिकारियों की रक्षा करना, उनके हथियारों और उपकरणों की देखरेख करना और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अधिकारियों की मदद करना शामिल।
एक स्टिंग के बाद गत मार्च में रॉय मैथ्यू नाम के एक जवान का शव महाराष्ट्र के देवलाली कैंट में लटकता हुआ मिला। वीडियो में उसने अधिकारियों द्वारा कराए जा रहे घरेलू कामों के बारे में शिकायत की थी। यह वीडियो वायरल हो गया था। इसके कुछ दिन बाद ही एक सिपाही ने सहायक सिस्टम की आलोचना करते हुए एक ऑनलाइन वीडियो पोस्ट किया जिसमें आरोप लगाया कि अधिकारी उसके साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते हैं।
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