अगला युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ना चाहते हैं जनरल बिपिन रावत, ये है हकीकत...
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की स्वदेशी हथियारों के इस्तेमाल और असलियत के बीच क्या अंतर है उसे समझना हो तो नीचे सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें...
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। दक्षिण एशिया में भारत एक बड़ी शक्ति है और एशिया महाद्वीप में भी चीन के बाद भारत का ही नाम आता है। महाशक्ति बनने की भारत की इच्छा से भी दुनिया अच्छे से वाकिफ है। इसके अलावा पाकिस्तान और चीन जैसे पडोसी देशों के चलते भी भारत को अपनी रक्षा के लिए तमाम तरह के कदम उठाने पड़ते हैं। आतंकवादियों के रूप में पाकिस्तान से लगातार भारत की सुरक्षा को चुनौती मिलती रहती है। बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते भी पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में घुसपैठ करने में कामयाब रहते हैं।
आतंकवादियों को भारत में प्रवेश कराने के लिए पाकिस्तान की तरफ से होने वाली गोलीबारी और दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए निकट भविष्य में युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में अगर युद्ध हुआ तो वह किस तरह के हथियारों से होगा?
इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश की है सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने। जनरल रावत का कहना है कि अगला युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ा जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने घरेलू रक्षा उद्योग को विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। एक सेमिनार में उन्होंने कहा कि सैन्य बलों और उद्योगों के बीच बेहतरीन तालमेल होना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सेना को भी युद्ध की ड्रेस और जूते भारत की निजी कंपनियां ही मुहैया कराती हैं। जनरल रावत ने बताया कि सेना के पास भारी-भरकम बजट है।
अभिलाषा और तैयारी के बीच का अंतर
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की स्वदेशी हथियारों के इस्तेमाल और असलियत के बीच क्या अंतर है उसे समझना हो तो नीचे सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें... हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी कहते हैं कि आने वाले समय में इन अभिलाषा और तैयारी के बीच अंतर नहीं दिखेगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस मामले में रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटायर्ड) अफसर करीम ने jagran.com से विशेष बातचीत में कहा, 'जनरल बिपिन रावत भविष्य की बात कर रहे हैं। यह जरूरी है कि भारत में हथियारों का निर्माण हो। अगर ऐसा होता है तो सेना को सस्ते हथियार मिलेंगे वह भी आसानी से।' मेजर जनरल (रिटायर्ड) अफसर करीम ने इसे आगे बढ़ने की कोशिश बताया और कहा कि अभी तो इसे सिर्फ बयान के तौर पर ही लेना चाहिए। रक्षा उपकरण बनाने वाली भारतीय कंपनियों के बारे में उन्होंने कहा, 'उनमें क्षमता तो है, लेकिन इतनी भारी संख्या में भारतीय सेना की जरूरतों को पूरी कर पाती हैं या नहीं कह नहीं सकते।'
jagran.com ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी से भी इस बारे में विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा, 'यह कहना कि हम पूरा युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ेंगे, यह तो अभी दूर की बात हैं। लेकिन यह सच बात है कि रक्षा क्षेत्र में भारत का प्राइवेट सेक्टर काफी अच्छा काम कर रहा है। कल्याणी भारत, कल्याणी फोर्ज ने 155 एमएम मीडियम गन बना दी है जो 45 किमी तक मार कर सकती है, जबकि बोफोर्स सिर्फ 27 किमी तक ही हमला कर पाती है। बोफोर्स प्रति मिनट 4 राउंड जबकि स्वदेशी गन 6 राउंड प्रतिमिनट फायर करने की क्षमता रखती है।'
जीडी बख्शी ने कहा, 'भारत में क्षमता काफी है। हमारा लाइट कॉम्बेट एयर क्राफ्ट भी चीन और पाकिस्तान के मुकाबले कहीं अच्छा है। जब यह अच्छी मात्रा में आने शुरू होंगे, तब हम छाती ठोककर कह सकते हैं कि रक्षा उपकरणों के निर्माण के मामले में हम आगे बढ़ रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर के आगे बढ़ने से हमारा स्वदेशी हथियार इस्तेमाल करने का सपना साकार हो जाएगा।'
क्या है भारत का रक्षा बजट
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब इस साल 1 फरवरी को आम बजट पेश किया था तो उन्होंने 2.74 लाख करोड़ के रक्षा बजट का प्रावधान किया। यह पिछले साल के बजट 2.58 लाख करोड़ से 6 फीसद ज्यादा है। भारत का 2017 का रक्षा बजट उसकी कुल जीडीपी का सिर्फ 1.62 फीसद है। जबकि रक्षा मंत्रालय के एक महत्वपूर्ण पैनल ने रक्षा बजट को कुल जीडीपी के 2.5 फीसदी तक बढ़ाने की पैरवी की थी।
1962 से पहले के बराबर रक्षा बजट
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने रक्षा बजट पर बात करते हुए कहा कि भारत का रक्षा बजट इस समट पूरी जीडीपी का 1.62 फीसद है और इससे पहले इतना कम बजट 1962 से पहले था। रक्षा बजट को बढ़ाना होगा, लेकिन क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा, यह समझ से परे है। मेजर जनरल (रिटायर्ड) अफसर करीम ने भी माना की भारत का रक्षा बजट काफी कम है।
इन आंकड़ों पर भी एक नजर डालें
भारत के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। रक्षा बजट का 31.1 फीसद पूंजी अधिग्रहण पर खर्च किया जाना है। फिलहाल भारतीय सेना की जरूरतों के 60 फीसद हथियार आयात किए जाते हैं। भारत सरकार ने देश में ही हथियारों के निर्माण के लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआई को मंजूरी दे दी है।
भारत में निवेश करने वाली रक्षा क्षेत्र की विदेशी कंपनियां
एयरबस - फ्रांस
बीएई इंडिया सिस्टम्स - यूके
पिलाटस - स्विटजर्लैंड
लॉकहीड मार्टिन - अमेरिका
बोइंग इंडिया - अमेरिका
रेथियन - अमेरिका
इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्री - इजराइल
राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम लिमिटेड - इजराइल
डसौल्ट एविएशन एसए - फ्रांस
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