नहा खा से छठ महापर्व शुरू, इन बातों का रखें ध्यान खुश होंगे सूर्य भगवान
नहा खा के साथ छठ महापर्व शुरू हो गया है। चार दिन तक चलने वाली छठ पूजा में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। आइए यहां पर पढ़े इस महापर्व की पूजन विधि...
पहले दिन नहा खा
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से छठ पूजा शुरू होती है। इसका समापन सप्तमी तिथि को होता है। इस पूजा में चतुर्थी के दिन 'नहा-खा' होता है। इस दिन सूर्योदय के समय स्नान और फिर भोजन ग्रहण किया जाता है। भोजन में कद्दू, चने की दाल और चावल मुख्य रूप से शामिल होता है।
दूसरे दिन खरना
इसके बाद दूसरे दिन पंचमी को खरना होता है। इस दिन निर्जला उपवास और शाम को सूर्यास्त के बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। खरना के प्रसाद में गन्ने के रस ओर दूध में बने हुए चावल की खीर, चावल का पीठा और घी की चुपड़ी रोटी शामिल होती है। यह प्रसाद सभी लोगों को बंटता है।
तीसरे दिन अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य
तीसरे दिन षष्ठी तिथि पर छठ का प्रसाद बनता है और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा में प्रसाद के रूप में ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। इसके अलावा चढ़ावे में सांचा और फल भी चढ़ाए जाते हैं। पूजा के बाद इनका प्रसाद वितरण किया जाता है।
चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ पूरा होता है व्रत
चौथे दिन सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोडऩे की प्रक्रिया होती है। इस दिन उसी जगह पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जहां पर पूर्व संध्या को दिया गया था। पूजा करने के बाद व्रत धारी कच्चे दूध का शरबत पीने के साथ ही थोड़ा सा प्रसाद खाकर अपना उपवास पूरा करते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खरना के प्रसाद में नमक और चीनी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अर्घ्य में चढ़ाए जाने वाला प्रसाद बनाने तक कुछ नहीं खाना चाहिए। उपवास के दौरान झूठ न बोलें और मांसाहार और मदिरा आदि सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।