रेपो रेट में कटौती से बढ़ेगी महंगाई!
भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती कर दी है। रेपो रेट वो दर होती है जिसपर अन्य बैंक रिजर्व बैंक से लिए पैसे पर ब्याज़ चुकाते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इसके परिणामस्वरूप लोन लेना सस्ता हो जाएगा। आरबीआइ के इस कदम को वित्त राज्यमंत्री
नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती कर दी है। रेपो रेट वो दर होती है जिसपर अन्य बैंक रिजर्व बैंक से लिए पैसे पर ब्याज़ चुकाते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इसके परिणामस्वरूप लोन लेना सस्ता हो जाएगा। आरबीआइ के इस कदम को वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत बताया है, लेकिन क्या वाकइ ऐसा है?
आमतौर पर रेपो रेट में कटौती को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है। क्योंकि इससे लोगों की क्रय क्षमता में इजाफा हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेपो रेट में कटौती का बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। रेपो रेट में कटौती महंगाई को भी पंख लगा सकती है, जिसे नीचे लाने में मोदी सरकार के पसीने छूट गए थे।
इएमआइ घटेगी, बचत बढ़ेगी
रेपो रेट में कटौती होने पर आमतौर पर बैंक लोन की दरों में भी कटौती कर देते हैं। इससे लोगों की बचत बढ़ जाती है। हालांकि पिछले बार जब आरबीआइ ने रेपो रेट में कटौती की थी, तो बैंकों ने लोन की दरों में कमी नहीं की थी। लेकिन इस बार पूरी उम्मीद है कि लोन की दरों में कमी आए। अगर ऐसा होता है, तो लोगों की जेब में खर्च करने के लिए पैसे ज्यादा आएंगे।
बचत बढ़ाएगी महंगाई!
दरअसल, रेपो रेट कट अपने से तेजी नहीं लाता, यह तरलता पैदा करता है। तरलता उत्पादन में लगी तो विकास, खर्च में लगी तो महंगाई। यहां मांग और पूर्ति को नियम लागू होता है। यह नियम कहता है कि यदि मार्केट में मांग बढ़ती है, तो चीजों की कीमत में बढ़ोतरी हो जाती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि यदि मार्केट में 10 चीजें हैं और उसके खरीदार 20 तो ऐसे में विक्रेता मुनाफा कमाने के लिए चीजों के दाम में बढ़ोत्तरी कर देगा। विक्रेता को पता है कि उसकी चीजें बढ़ी हुई कीमत पर भी बिक जाएंगी, क्योंकि खरीदार ज्यादा हैं और उनकी जेब में पैसा भी है।
बढ़ी मुश्किल से काबू आ रही है महंगाई
यूपीए की मनमोहन सरकार के सामने महंगाई सबसे बड़ी समस्या थी। भाजपा ने इस मुद्दे को लोकसभा चुनावों में बहुत उठाया। इसका उन्हें लाभ भी मिला, क्योंकि जनता महंगाई से त्रस्त भी। मोदी सरकार ने पिछले दिनों जो आंकड़े पेश किए, उनमें दिखाया गया कि महंगाई घट रही है। हालांकि मोदी सरकार को भी महंगाई दर घटाने में काफी मेहनत करनी पड़ी। ऐसे में अगर फिर महंगाई बढ़ने लगी तो मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
गौरतलब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी की घोषणा की है। इसके साथ ही रेपो रेट तत्काल प्रभाव से घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया है। आरबीआइ के इस कदम को वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत बताया है, लेकिन क्या वाकइ ऐसा है।