नाम के हैं बस 'चाइल्ड केयर होम्स', सुरक्षा के नाम पर बच्चों के साथ होते हैं गंदे काम
सरकार ने अनुचित मैनेजमेंट, बगैर रजिस्ट्रेशन और नियमों की अवमानना के आधार पर 2011 से अब तक 500 ‘केयर होम्स‘ को बंद कराया।
चेन्नई। धनलक्ष्मी 14 साल की थी और गर्भवती थी, तब उसे तमिलनाडु के चिल्ड्रंस होम से छुड़ाया गया। उसे वहां उसकी मां ने पहुंचाया था क्योंकि वह कचरा बीनती थी और उसके पालन पोषण में असमर्थ थी।
मामले की जांच कर रहे सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की कमेटी द्वारा दिए गए रिपोर्ट के अनुसार, वहां सुरक्षित माहौल की जगह वहीं के कर्मचारी ने महीनों तक उसका रेप किया।
कमेटी के सदस्य ने जहीरुद्दीन मोहम्मद ने कहा,’उसकी कहानी ने ऐसी परतें खोलीं है।‘ बिना रजिस्टर किए गए केयर होम्स में ऐसी गंदी करतूतें होती हैं ओर बच्चों की जरूरतों का ख्याल नहीं रखा जाता।
इंडिया टुडे के अनुसार, सरकार ने 2011 से लेकर अब तक 500 ऐसे केयर होम्स बंद करा दिए हैं जहां मैनेजमेंट सही नहीं थी, रजिस्ट्रेशन नहीं था, नियमों का पालन नहीं होता था लेकिन मानवाधिकार ग्रुप ने इस तरह की स्थिति 1,500 सरकारी और राज्य के संस्थानों में व्याप्त है।
मानवाधिकार ग्रुप की ओर से काफी पहले से यह शिकायत हो रही है कि अधिकांश चिल्ड्रंस केयर होम की व्यवस्था काफी खराब है। यहां हमेशा जांच भी नहीं होती है और काफी सारे निजी संस्थानों को बिना लाइसेंस ही चलाया जा रहा है और यहां हजारों बच्चों के साथ बदसलूकी होती है। यह समस्या तब सामने आयी जब चेन्नई हाई कोर्ट में एडवोकेसी ग्रुप ‘चेंज इंडिया’ के डायरेक्टर ए नारायणन द्वारा याचिका दर्ज करायी गयी हलफनामे के अनुसार,’कोई भी हफ्ता ऐसा नहीं जाता जब तमिलनाडु के चाइल्ड केयर होम में हुए शारीरिक हिंसा जैसे टॉर्चर या लोहे से जलाना, रेप समेत यौन शोषण, मर्डर और आत्महत्या जैसी खबरें नहीं आती।‘
बाल अधिकारों के लिए कैंपेन का आयोजन करने वालों के अनुसार तमिलनाडु में 200,000 बच्चे निजी अनाथालयों, इस्लामिक मदरसों, मंदिरों और होस्टल्स में होते हैं। अधिकांश बच्चे अनाथ नहीं होते हैं लेकिन गरीब माता-पिता द्वारा वहां उचित सुविधा मिलने की उम्मीद से रखा जाता है।
पिछले पांच सालों के दौरान सरकार के पास अनेकों ऐसे रिपोर्ट सबमिट किए गए हैं जिसमें चिल्ड्रंस होम्स की खराब स्थिति के बारे में बताया गया। इन चिल्ड्रंस केयर से मिलने वाली शिकायतों में अपराधी के तौर पर वार्डन, वॉचमैन, कुक व अन्य स्टाफ होते हैं।
तमिलनाडु के सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि वे कैंपेनर्स द्वारा दर्ज कराए गए मामलों पर गौर कर रहे हैं। जिसमें केयर होम्स का बेहतर मॉनिटरिंग, चाइल्ड केयर प्लान आदि शामिल है।
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