सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या हमारे कहने से देश में आ जाएगा रामराज्य ?
पूरे देश में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की हर समस्या को अदालती आदेश से नहीं सुलझाया जा सकता।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश देने की सीमाओं का जिक्र करते हुए शुक्रवार को कहा कि कोर्ट हर चीज के लिए आदेश नहीं दे सकता। जिन आदेशों का पालन कराना मुश्किल हो वे आदेश नहीं दिये जा सकते। कोर्ट देश में रामराज्य स्थापित करने का आदेश नहीं दे सकता।
शुक्रवार को ये टिप्पणियां मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने देश के विभिन्न राज्यों में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने की मांग याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। यह याचिका गैर सरकारी संगठन वाइस आफ इंडिया ने दाखिल की है और याचिका पर बहस संस्था के अध्यक्ष धनेश ईशधन स्वयं कर रहे थे।
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मुख्य न्यायाधीश ने पूरे देश के फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने के जनरल आदेश देने में असमर्थता जताते हुए कहा कि इन आदेशों का पालन कराना कठिन है। याचिकाकर्ता को व्यवहारिक मांग रखनी चाहिए। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि वे जानते हैं कि लोग बहुत उम्मीद लेकर कोर्ट के पास आते हैं लेकिन कोर्ट की भी आदेश देने की एक सीमा होती है। अगर कोई कहेगा कि सारे हिन्दुस्तान के फुटपाथ साफ कर दो उससे अतिक्रमण हटा दो तो क्या इस आदेश का पालन हो पाएगा। कोई कहे कि हिन्दुस्तान से भ्रष्टाचार खतम करने का आदेश दे दो। देश में कोई अपराध न हो कोई कतल न हो ऐसा आदेश दे दो तो क्या ये हो जाएगा। क्या कोर्ट देश में रामराज्य स्थापित करने का आदेश दे सकता है।
कोर्ट ने याचिका पर आगे सुनवाई न करने की इच्छा जताते हुए जनहित याचिका खारिज करने का आदेश दिया लेकिन याचिकाकर्ता के बार बार अनुरोध के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज नहीं की और उसे फरवरी में फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।
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याचिकाकर्ता का कहना था कि मौलिक अधिकारों की रक्षा करना कोर्ट का कर्तव्य है और कोर्ट को आदेश देना चाहिये। अगर कोर्ट आदेश नहीं देगा तो लोग किसके पास जाएंगे। उसने कहा कि राजनेताओं का वश चले तो वे एक एक ईंट बेच दें। लोगों को कोर्ट से ही उम्मीद है। इस पर जस्टिस ठाकुर ने उससे कहा कि हर बात के लिए कोर्ट आने के बजाए वह स्वयं लोगों को जागरुक करें समझाएं कि लोग फुटपाथ पर अतिक्रमण न करें।
पीठ ने ये भी कहा कि लोगों को रोजी रोटी कमाने का भी अधिकार है और जिनके पास कुछ नहीं है वे फुटपाथ पर बैठकर रोजीरोटी कमाते हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके लिए हाकिंग जोन चिन्हित होने चाहिये। फुटपाथ पर चलना लोगों का मौलिक अधिकार है। अंत में जब कोर्ट ने याचिका खारिज करने का आदेश खतम करते हुए मामले को फरवरी में फिर लगाने का आदेश दिया तो याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश से कहा आपकी उम्र लंबी हो।
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