रामपाल बोला, आश्रम में गलत काम होए पर मन्नै नहीं करे
खुद को परमात्मा कहने वाले रामपाल के दो दिन पुलिस रिमांड के बीत चुके हैं। अब हवालात की दुश्वारियां उसे सताने लगी हैं। सलाखों से रात को बिना दस्तक दिए आने वाली हवा रामपाल को "आम" होने का अहसास करा रही है। फर्श पर बिछा हुआ कंबल निश्छल भाव से
हिसार [सुरेंद्र सोढी]। खुद को परमात्मा कहने वाले रामपाल के दो दिन पुलिस रिमांड के बीत चुके हैं। अब हवालात की दुश्वारियां उसे सताने लगी हैं। सलाखों से रात को बिना दस्तक दिए आने वाली हवा रामपाल को "आम" होने का अहसास करा रही है। फर्श पर बिछा हुआ कंबल निश्छल भाव से रामपाल को ठंड परोस रहा है तो ऊपर का ओढ़ना भी बेचैन कर रहा है।
पुलिस हिरासत के 48 घंटे पूरे होने से पहले ही रामपाल परेशान दिखाई देने लगा है। पूछताछ करने वाली वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की टीम उसको निरंतर टूटता हुआ देख रही है। हालांकि अभी तक पुलिस के सवालों के जवाब घुमा रहा रामपाल जांच में सहयोग नहीं कर रहा है परंतु पुलिस अधिकारी रामपाल के शातिराना अंदाज पर मुस्करा कर बड़े-बड़ों को दुरुस्त करने की नसीहत दे रहे हैं।
रामपाल की हवालात में दूसरी रात और तीसरे दिन का हाल
पुलिस : तेरे कमरे में टीवी स्क्रीन, महिलाओं के स्नानघरों में शौचालय और महिलाओं के ढेरों वस्त्र, ये क्या है?
रामपाल : आश्रम में कैमरे हैं, मेरे कमरे में स्क्रीन है, गलत नहीं। नहाण और निफराम की जगह कैमरे नहीं है, जाके देख ल्यो। सारे कैमरे भक्तों के कपड़ों और सामान पर नजर रखने के लिए लगाए गए थे।
पुलिस : तू करता था सामान की निगरानी
रामपाल : .. चुप
पुलिस : लड़कियां, महिलाएं और आश्रम में इतने गलत काम, बता।
रामपाल : आश्रम में गलत काम होए, पर मन्नै नहीं करे।
पुलिस : किसने किए और करवाए?
रामपाल : वे..सेवादार अर ..समिति आले।
पुलिस : अलमारी, दरवाजे और तिजोरियों के कोड नंबर बता।
रामपाल : एक टक देखने के बाद चुप
पुलिस : कैमरों की हार्ड डिस्क कहां है?
रामपाल : मन्ने नहीं पता
पुलिस : कुछ चाहिए, चाय..?
रामपाल : बोतल में पानी भरवाद्यो
पुलिस : ये इतने हथियार, हमले के लिए गुंडे और पत्थर कब तैयार किए?
रामपाल : मैं सादा आदमी हूं, सादा खाणा, पहणना अर रहणा है। बस इतणा पता है, मन्नै कुछ नहीं करया, मैं निर्दोष हूं।
पुलिस : आश्रम में तेरा कमरा, स्विमिंग पूल, एसी टॉयलेट और राजसी ठाट-बाट सादे आदमी के हैं?
रामपाल : चुप
पुलिस : तेरे पास करोड़ों की दौलत कैसे और कहां से आई?
रामपाल : मेरा कोये दोष नहीं, तीन-चार दिनां तै सारा कंट्रोल मेरे सै बाहर था। मैं सादा आदमी हूं..। भक्त थोड़ा बहोत दान-दक्षिणा दे देते थे।