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मोदी-मनमोहन दोनों साहूकार, नहीं लाना चाहते काला धन: जेठमलानी

राम जेठमलानी ने बताया कि जर्मन सरकार ने एक बैंक अधिकारी को 875 मिलियन डॉलर देकर उससे उसके बैंक में कालाधन रखने वालों की लिस्ट हासिल की।

By Manish NegiEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 10:13 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 10:13 PM (IST)
मोदी-मनमोहन दोनों साहूकार, नहीं लाना चाहते काला धन: जेठमलानी
मोदी-मनमोहन दोनों साहूकार, नहीं लाना चाहते काला धन: जेठमलानी

नई दुनिया, इंदौर। विदेश से कालाधन वापस लाना सिर्फ जुमला बनकर रह गया है। नरेंद्र मोदी व मनमोहन सिंह, दोनों ही साहूकार बनकर बैठे हैं। वह नहीं चाहते कि कालाधन वापस लाया जाए। अन्य देशों ने कालाधन रखने वालों की लिस्ट लेकर संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई तक की है। कांग्रेस ने सीक्रेट प्रोटोकॉल के तहत कालाधन वापस लाने के रास्ते बंद किए। भाजपा ने भी इसका विरोध नहीं किया। इतने साल की वकालत के बाद भी मोदी पर विश्वास कर धोखा खाया। यह बात रविवार को मप्र के इंदौर में 'प्रेस से मिलिए' कार्यक्रम के दौरान पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कही।

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उन्होंने आगामी चुनाव में ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए तीसरे मोर्चे को मजबूत करने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि जर्मन सरकार ने एक बैंक अधिकारी को 875 मिलियन डॉलर देकर उससे उसके बैंक में कालाधन रखने वालों की लिस्ट हासिल की। उस कर्मचारी ने 1400 लोगों के नाम व जानकारी सौंपी। इसमें सबसे अधिक नाम भारत से हैं। जर्मन सरकार ने भारत के साथ रहे मैत्री संबंधों को देखते हुए घोषणा कर कहा कि कोई उनसे संपर्क करेगा तो वह बगैर किसी शर्त के लिस्ट सौंप देगी। मौजूदा सरकार को फौरन लिस्ट हासिल करनी थी, लेकिन वहां कोई नहीं गया।

चुनाव जीते, फिर भी नहीं हो रहा तरीके से काम

जेठमलानी ने कहा कि भाजपा सरकार को किसी को जर्मनी भेजकर इसकी जानकारी लेना थी। 2011 में नरेंद्र मोदी मेरे पास आए और बोले कि कालाधन लाने में मैं सहभागी बनूंगा। मैंने उन पर विश्वास किया। मैं खुद जर्मनी गया, पर जर्मन सरकार ने अपोजिशन पार्टी के कुछ नेताओं की सहमति लाने की बात कही। वापस आकर लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी को पत्र लिखकर इसकी अनुमति देने में सहयोग की बात कही, लेकिन सात दिन बाद भी कोई जवाब नहीं आया। पूछा तो कहा हम भूल गए। इसके बाद भी आज तक वह लेटर नहीं मिला। चुनाव आया और वह जीत भी गए पर अभी तक कालाधन लाने के लिए कोई काम सही तरीके से नहीं हो रहा। बातचीत के दौरान जेठमलानी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के लिए असंसदीय भाषा का प्रयोग भी किया।


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