चित्रकूट में दीपों से जगमगा उठा रामघाट
देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र मंदाकिनी नदी में दीपदान कर सुख समृद्धि की कामना की। अमावस्या की रात में दीपों से मंदाकिनी की गोद ऐसी टिमटिमा उठी जैसे आसमान से आकाश गंगा जमीन पर उतर आई हों। श्रद्धालुओं ने दीपदान के बाद कामदगिरि की परिक्रमा की।
जागरण संवाददाता, चित्रकूट। देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र मंदाकिनी नदी में दीपदान कर सुख समृद्धि की कामना की। अमावस्या की रात में दीपों से मंदाकिनी की गोद ऐसी टिमटिमा उठी जैसे आसमान से आकाश गंगा जमीन पर उतर आई हों। श्रद्धालुओं ने दीपदान के बाद कामदगिरि की परिक्रमा की। मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रख यूपी-एमपी प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। यात्रियों की सुरक्षा को चप्पे-चप्पे में पुलिस बल तैनात रहा।
मान्यता है कि लंका विजय के बाद प्रभु श्री राम ने धर्मनगरी चित्रकूट आकर दीपदान किया था तभी से यहां दीपदान की परंपरा चल रही है। दीपावली पर्व पर हर वर्ष यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु आकर मंदाकिनी में दीपदान करते हैं।
पिछली सोमवती अमावस्या में मची भगदड़ से सबक लेकर यूपी-एमपी प्रशासन ने इस बार व्यवस्थाओं में खासा फेरबदल किया था। हादसे के बाद परिक्रमा मार्ग का चौड़ीकरण कर दंडवती परिक्रमा के लिए अलग मार्ग बनाया गया है। भय और गम को पीछे छोड़ लाखों श्रद्धालुओं ने उत्साह पूर्वक दीपदान मेला में शिरकत किया।
धर्मनगरी में दीपदान को देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने सबसे पहले मंदाकिनी में डुबकी लगाई। सर्वाधिक भीड़ वाले रामघाट व कामतानाथ प्रमुख द्वार में श्रद्धालुओं की निगरानी के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। मेला क्षेत्र में वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया था। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को विभिन्न जिलों से आए करीब चार हजार जवान तैनात किए गए थे।
पांच दिवसीय मेला के मुख्य पर्व दीपावली को जैसे-जैसे शाम हो रही थी रामघाट में भीड़ बढ़ रही थी। बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों से आई दीवारी नृत्य की टोलियों से रामघाट व कामदगिरि परिक्षेत्र मयूरी हो गया। जब लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी व कामदगिरि में दीपदान किया तो ऐसा लगा मानो आसमान के तारे जमीं पर उतर आए हों। घाट की सजावट व झालरें शोभा बढ़ा रहीं।
रामघाट में प्रकाश व्यवस्था तो ऐसी थी कि रात में भी दिन जैसा नजारा दिख रहा। प्रशासन ने यात्रियों के आवागमन के लिए मेला स्पेशल ट्रेनें व साढ़े तीन सौ अतिरिक्त रोड़वेज बसों की व्यवस्था की है।