विजय माल्या के नए इस्तीफे को राज्यसभा सभापति ने किया मंजूर
विजय माल्या के नए इस्तीफे को राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी ने बुधवार को मंजूर कर लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों का हजारों करोड़ रुपये का कर्ज न लौटाने का आरोपी शराब कारोबारी विजय माल्या के नए इस्तीफे को राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी ने मंजूर कर लिया। माल्या ने बुधवार को दोबारा इस्तीफा भेजा, जिसमें प्रक्रियागत खामियों को दुरुस्त कर लिया गया था। इस्तीफा मंजूर किये जाने की घोषणा राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन ने की। इस्तीफा बुधवार की तिथि से मंजूर माना जाएगा।
कुरियन ने कहा कि कर्नाटक से निर्दलीय सदस्य माल्या इन दिनों 9400 करोड़ रुपये बैंक कर्ज को न लौटाने के आरोपी है। अदालती कार्यवाही से बचने के लिए माल्या विदेश भाग चुके हैं। यह फैसला उसी दिन आया है, जब कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने माल्या की बर्खास्तगी को लेकर अपनी रिपोर्ट सभापति को सौंपी है। अपनी रिपोर्ट में तीखी टिप्पणियों के साथ माल्या की तत्काल बर्खास्तगी की सिफारिश की गई है।
सभापति अंसारी के ओएसडी गुरदीप सिंह सप्पल ने ट्विटर पर कहा है कि राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने माल्या के दोबारा भेजे गये इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। इसमें प्रक्रियागत खामियों को दुरुस्त कर लिया गया है। एक और ट्विट में बताया गया है कि राज्यसभा के महासचिव ने विजय माल्या को उनके इस्तीफे को खारिज करने की वजह के बारे में लिखकर सूचित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने नये सिरे अपना दूसरा इस्तीफा भेजा।
उधर, आचार समिति ने भी माल्या के इस्तीफे को सिरे से खारिज करते हुए उसकी बर्खास्तगी की सिफारिश की थी। समिति ने माल्या की दलीलों को मानने से मना कर दिया था।
इससे पहले आज सदन में पेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है डॉ माल्या के पत्र के साथ साथ संपूर्ण मामले पर विचार करने के पश्चात आचार समिति ने तीन मई 2016 को हुई अपनी बैठक में एकमत से सभा से यह सिफारिश करने का निर्णय किया कि डॉ विजय माल्या को तत्काल प्रभाव से निकाल दिया जाए। ऐसा सख्त कदम उठाने से जनता में यह संदेश पहुंचेगा कि संसद इस महान संस्था की गरिमा और गौरव बनाए रखने के लिए चूककर्ता सदस्यों के विरुद्ध ऐसे कदम उठाने के लिए बचनबद्ध है।
रिपोर्ट में कहा गया है अपने पत्र में उन्होंने (माल्या )ने कुछ विधिक और संवैधानिक मुद्दों को उठाया है जो मान्य नहीं हैं।
माल्या के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। उनके पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है।
समिति का यह सुविचारित मत है कि मौजूदा मामले में माल्या ने जानबूझकर राज्यसभा सदस्य संपत्तियों और देनदारियों की घोषणा नियम के उपबंधों का उल्लंघन किया है। इसमें कहा गया है, सदस्यों को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे संसद की बदनामी होती हो और उसकी विश्र्वसनीयता प्रभावित होती हो।