किसान आंदोलन से निपटने के लिए राजनाथ ने संभाली कमान
भूमि अधिग्रहण के मामलों पर टालमटोल के चलते राजनीतिक जमीन गंवा चुकी पूर्ववर्ती संप्रग सरकार से सबक लेते हुए राजग सरकार ने किसानों और भूमिहीन आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन से निपटने की तैयारियां तेज कर दी हैं।
नई दिल्ली । भूमि अधिग्रहण के मामलों पर टालमटोल के चलते राजनीतिक जमीन गंवा चुकी पूर्ववर्ती संप्रग सरकार से सबक लेते हुए राजग सरकार ने किसानों और भूमिहीन आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन से निपटने की तैयारियां तेज कर दी हैं। राजग के राजनीतिक प्रबंधकों ने आंदोलनकारियों से बातचीत करने और उनकी मांगों पर विचार करने की पहल शुरू कर दी है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद इसकी कमान संभालते हुए सोमवार को प्रदर्शन करने दिल्ली आ रहे भूमिहीनों और आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
गृह मंत्री ने उनकी वाजिब मांगों पर विचार करने का भरोसा दिया। साथ ही ताजा स्थिति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया। दरअसल, सरकार राजनीति के साथ आर्थिक कारणों से भी सक्रिय है। राजग को अपने आर्थिक एजेंडे को लागू करने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून की जटिलताओं को दूर करना जरूरी है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों के संगठन एकता परिषद के संयोजक रमेश शर्मा और अन्य सदस्यों ने गृह मंत्री के निवास पर जाकर उनके समक्ष अपनी मांगें रखीं। उन लोगों ने करीब आधे घंटे चली इस बातचीत के दौरान अपनी समस्याओं से गृह मंत्री को अवगत कराया। गृह मंत्री ने सहानुभूति के साथ उनकी वाजिब मांगों पर विचार का आश्वासन दिया।
सूत्रों के अनुसार राजनाथ ने प्रदर्शनकारियों को जल्द से जल्द प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली भूमि सुधार परिषद की बैठक बुलाने का भरोसा दिया भी दिया। इस परिषद के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री हैं और लंबे समय से इसकी बैठक नहीं हुई है।
एकता परिषद के समर्थक समाजसेवी अण्णा हजारे द्वारा यहां शुरू किए गए भूमि अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन में भी भाग ले रहे हैं।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर चर्चा
शाम को गृह मंत्री के निवास पर भाजपा के नेताओं ने बैठक कर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर चर्चा की। इस बीच, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए सरकार ने अध्यादेश लाकर ऐसा काम किया है, जिससे सभी को फायदा होगा। इससे पूर्व संप्रग सरकार ने जो कानून बनाया था उससे सभी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था। संप्रग सरकार ने 13 कानूनों को नए भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे से बाहर कर दिया था।
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