नहीं रहे साहित्यकार विजयदान देथा
राजस्थानी लोक कथाओं को नया आयाम देने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार विजयदान देथा उर्फ बिज्जी का रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से जोधपुर स्थित पैतृक गांव बारुंदा में निधन हो गया। 14 खंड़ों में प्रकाशित 'बातां री फुलवारी' के 10वें खंड के लिए साहित्य अकादमी से पुरस्कृत देथा को लोक कथाओं के विकास में योगदान के चलते नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था। पद्मश्री देथा को पिछले साल राजस्थान रत्न से नवाजा गया था।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थानी लोक कथाओं को नया आयाम देने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार विजयदान देथा उर्फ बिज्जी (87) का रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से जोधपुर स्थित पैतृक गांव बारुंदा में निधन हो गया। 14 खंड़ों में प्रकाशित 'बातां री फुलवारी' के 10वें खंड के लिए साहित्य अकादमी से पुरस्कृत देथा को लोक कथाओं के विकास में योगदान के चलते नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था। पद्मश्री देथा को पिछले साल राजस्थान रत्न से नवाजा गया था।
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राजस्थानी भाषा में करीब आठ सौ से अधिक लघुकथाएं लिखने वाले देथा की कृतियों का हिंदी, अंग्रेजी समेत विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया। लोक कथाओं एवं कहावतों के अद्भुत संकलनकर्ता देथा की कर्मस्थली उनका पैतृक गांव बारुंदा ही रहा। इस छोटे से गांव में बैठकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के साहित्य का सृजन किया। राजस्थानी लोक संस्कृति की प्रमुख संरक्षक संस्था रूपायन संस्थान के सचिव देथा का जन्म एक दिसंबर, 1926 को हुआ था। उनकी लिखी कहानियों पर 24 से अधिक फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित 'दुविधा' को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्ष 1986 में उनकी कथा पर बनी फिल्म 'परिणति' काफी लोकप्रिय हुई है। 'दुविधा' पर आधारित हिंदी फिल्म 'पहेली' में अभिनेता शाहरुख खान और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिकाओं में थे। यह उनकी किसी रचना पर बनी अंतिम फिल्म है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देथा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
गौरतलब है कि हाल ही में प्रख्यात साहित्यकार राजेंद्र यादव व व्यंग्यकार केपी सक्सेना का भी निधन हुआ है।
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