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रेलवे खोलेगा 'यात्री टिकट सुविधा केंद्र', देना होगा ज्यादा कमीशन

रेलवे ने अपना खर्चा कम करने के लिए अब आरक्षण केंद्रों को भी निजी हाथों (पीपीपी) में देने का निर्णय किया है। इन आरक्षण केंद्रों में यात्रियों को आइआरसीटीसी की तुलना में ज्यादा कमीशन देना होगा। निजी आरक्षण केंद्रों में यात्रियों को तत्काल की सुविधा भी नहीं मिलेगी और न ही ओपनिंग टिकट (साठ दिन पहले) यात्र

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 09:06 AM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 09:57 AM (IST)
रेलवे खोलेगा 'यात्री टिकट सुविधा केंद्र', देना होगा ज्यादा कमीशन

लखनऊ [अंशू दीक्षित]। रेलवे ने अपना खर्चा कम करने के लिए अब आरक्षण केंद्रों को भी निजी हाथों (पीपीपी) में देने का निर्णय किया है। इन आरक्षण केंद्रों में यात्रियों को आइआरसीटीसी की तुलना में ज्यादा कमीशन देना होगा। निजी आरक्षण केंद्रों में यात्रियों को तत्काल की सुविधा भी नहीं मिलेगी और न ही ओपनिंग टिकट (साठ दिन पहले) यात्री सुबह 8 बजे बनवा सकेंगे।

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इन आरक्षण केंद्रों को संचालित करने के लिए रेलवे लाखों रुपये भी आवेदनकर्ताओं से लेगा। सिर्फ रेलवे की गाइड लाइन का पालन उनको करना होगा। इसके लिए जल्द ही रेलवे निविदाएं निकालने जा रहा है। इस नए प्रयास से जहां आरक्षण केंद्रों की भरमार होगी, वहीं रेलवे में आरक्षण बाबुओं की भर्ती धीरे-धीरे बंद हो जाएगी। इन आरक्षण केंद्रों में आरक्षित टिकट व जनरल टिकट दोनों यात्रियों को मिलेंगे, इसे रेलवे ने यात्री टिकट सुविधा केंद्र (वाइटीएसके) का नाम दिया है।

ये आरक्षण केंद्र सामान्य दिन सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक खुलेंगे और रविवार को सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक खुले रहेंगे। फिलहाल रेलवे के आरक्षण केंद्र रविवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुलता है। निजी आरक्षण केंद्र में आरक्षित टिकट की सुविधा छह घंटे ज्यादा मिलेगी।

वही निजी आरक्षण केंद्र पर प्रति जनरल टिकट पर एक रुपये, सेकेंड सीटिंग व स्लीपर पर बीस रुपये व अन्य श्रेणी के सभी टिकट पर यात्री को चालीस रुपये कमीशन देना होगा, जबकि आइआरसीटीसी सेकेंड सीटिंग व स्लीपर पर दस रुपये और अन्य श्रेणी पर बीस रुपये ही कमीशन लेता है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक निवेशकर्ता इस प्रोजेक्ट पर अधिकतम एक करोड़ रुपये तक खर्च कर सकता है।

आवेदनकर्ता को पंजीकरण के लिए पांच लाख रुपये जमा करने होंगे। इसके अतिरिक्त दो लाख की सिक्यूरिटी मनी या बैंक गारंटी देनी होगी। वहीं आवेदनकर्ता प्रति काउंटर के लिए रेलवे को 1.6 लाख रुपये देने होंगे। अगर निवेशकर्ता प्रति कंप्यूटर से टिकट बनाता है तो उसे करीब पांच लाख रुपये प्रति कंप्यूटर जमा करना होगा। टिकट सिर्फ साढ़े चार लाख के ही बन पाएंगे बाकी के पचास हजार रेलवे के पास जमा रहेंगे।

यह प्रोजेक्ट निवेशकर्ता तीन साल के लिए चला सकता है और प्रति वर्ष उसे पांच हजार में प्रति कंप्यूटर के हिसाब से नवीनीकरण करा सकेगा।

एआइआरएफ का विरोध

निजी आरक्षण केंद्र का आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र व सहायक मंडल मंत्री आरके पांडे ने विरोध किया है। पदाधिकारियों ने कहा कि रेलवे बोर्ड का सर्कुलर कर्मचारी विरोधी है। रेलवे को निजीकरण की ओर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है जो किसी भी कीमत पर नहीं करने दिया जाएगा।

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