एक रुपये में रेल यात्रियों को स्टेशन पर मिलेगी एंबुलेंस की सुविधा!
रेलवे को यह प्रस्ताव विशेष रूप से पसंद आया है। उसने आइआरसीटीसी से कंपनी के साथ बैठकर इसकी पूरी रूपरेखा व रेवेन्यू मॉडल तैयार करने को कहा है।
नई दिल्ली, संजय सिंह। ट्रेन में सफर के दौरान अचानक तबियत खराब होने या चोट लगने पर यात्रियों को चिकित्सा के लिए अगला महत्वपूर्ण स्टेशन आने का इंतजार करना पड़ता है। इसमें कभी-कभी अनहोनी हो जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यात्री को अगले ही स्टेशन पर इलाज मिलेगा। इसके लिए स्टेशनों पर एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने पर रेलवे गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। इसके लिए यात्रियों से मामूली शुल्क लिया जाएगा।
एंबुलेंस सेवा वैकल्पिक रेल यात्री बीमा की तर्ज पर उपलब्ध कराई जाएगी। जिसमें मात्र 92 पैसे के शुल्क पर 10 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा मिलता है। यानी जो यात्री एंबुलेंस का विकल्प चुनेंगे उनसे ही पैसा वसूला जाएगा। इसका शुल्क (जो एक रुपये से ज्यादा नहीं होगा) किराये में जोड़ दिया जाएगा। एंबुलेंस न चाहने वाले यात्रियों को यह शुल्क नहीं देना होगा।
एंबुलेंस सेवा का प्रस्ताव निजी क्षेत्र की एक कंपनी ने दिया है। वह मरीजों को अस्पताल तथा अस्पतालों को मरीज उपलब्ध कराती है। उसने शहरों व कस्बों में एंबुलेंस चला रखी हैं। कंपनी का कहना है कि स्टेशनों पर एंबुलेस उपलब्ध कराकर रेलवे अपने यात्रियों को मामूली शुल्क पर आपातकालीन चिकित्सा देने के साथ-साथ पैसे भी कमा सकती है। इसलिए यह सभी के फायदे का सौदा है।
अभी ट्रेन यात्रियों को आपातकालीन चिकित्सा के लिए विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले टीटीई और उसके बाद ऐसे यात्री को खोजना पड़ता है जो डॉक्टर हो। फिर भी प्राथमिक उपचार से अधिक कुछ नहीं हो पाता। माकूल इलाज के लिए अंतत: अगले स्टेशन का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं होता। इस प्रक्रिया में समय लगने से कई मर्तबा मरीज की जान पर बन आती है। पिछले दिनो ऐसे ही एक मामले में दिल्ली से अहमदाबाद जा रही ट्रेन के एक यात्री की अगला स्टेशन आने तक मृत्यु हो गई। यात्री के साथ चल रहे परिजनों ने ट्वीट के जरिए रेलवे से मदद मांगी थी। जिस पर अगले स्टेशन पर एंबुलेंस के साथ डॉक्टरों की व्यवस्था की गई थी। लेकिन बीच में मौत होने से अब यात्री के परिजन रेलवे को भला-बुरा कह रहे हैं और रेलवे स्वयं को असहाय महसूस कर रही है।
इसीलिए रेलवे को यह प्रस्ताव विशेष रूप से पसंद आया है। उसने आइआरसीटीसी से कंपनी के साथ बैठकर इसकी पूरी रूपरेखा व रेवेन्यू मॉडल तैयार करने को कहा है। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, 'हमें ट्रेन में चिकित्सा सुविधा देने के 5-6 अनुरोध रोजाना ट्वीट के जरिए प्राप्त होते हैं। यदि इस संख्या को दस गुना भी मान लिया जाए तो हर दिन औसतन 50-60 यात्रियों को एंबुलेंस की जरूरत होगी। जबकि एंबुलेस का विकल्प चुनने वाले यात्रियों की संख्या लाखों में होगी। ऐसे में स्कीम के कामयाब होने की पूरी संभावना है।' अधिकारी ने स्पष्ट किया कि एक रुपये में केवल एंबुलेंस व प्राथमिक चिकित्सा ही मिलेगी। यदि यात्री को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, तो फिर वहां के नियमित खर्च देय होंगे।
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