ग्रीन ट्रेन : जितनी तेज धूप, उतनी ज्यादा ठंडक
जितनी तेज धूप, उतनी ज्यादा ठंडक। सुनकर अजीब सा लगता है, लेकिन अब रेलवे ये प्रयोग करने जा रहा है। ट्रेनों के ऊपर की छत टीन के बजाय सौर ऊर्जा से संचालित शीट से बनाई जाएगी।
मुरादाबाद, प्रदीप चौरसिया। जितनी तेज धूप, उतनी ज्यादा ठंडक। सुनकर अजीब सा लगता है, लेकिन अब रेलवे ये प्रयोग करने जा रहा है। ट्रेनों के ऊपर की छत टीन के बजाय सौर ऊर्जा से संचालित शीट से बनाई जाएगी।
ट्रेनों के संचालन में आज भी डीजल का व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। एसी युक्त ट्रेनों में लाइट, एसी और पंखे चलाने के लिए डीजल से संचालित होने वाले दो जेनरेटर लगाए जाते हैं।
लगातार उत्पादन में कमी से हर क्षेत्र में बिजली बचाने का प्रयास किया जा रहा है। अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (आइआइएस) ने रिपोर्ट दी है कि रेलवे को भी बिजली की बचत करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके तहत ग्रीन ट्रेन चलाने की सलाह दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक एसी युक्त बोगी में एसी, पंखे व लाइट चलाने के लिए 25 किलोवाट जबकि स्लीपर कोच के लिए 15 किलोवाट बिजली की आवश्यकता होती है। ऐसे में ट्रेनों की छतों के ऊपर लगी टीन शीट के स्थान पर सोलर सिस्टम संचालित शीट लगाई जाए। कोच के नीचे पावर बैंक बनाए जाएं ताकि धूप से उत्पन्न ऊर्जा बैंक में जाकर जमा हो सके।
रात में या मौसम खराब होने की स्थिति में बिजली की व्यवस्था करने का भी सुझाव है, जिसके तहत सभी कोच में डायनमो नुमा छोटा जेनरेटर लगा होगा। जो ट्रेन के पहिये द्वारा संचालित होगा। ट्रेन की गति 30 किलोमीटर प्रतिघंटा होते ही इससे उत्पादन शुरू हो जाएगा और इससे उत्पन्न बिजली पावर बैंक में एकत्रित होने लगेगी।
इस रिपोर्ट के बाद रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) नए कोच का डिजाइन तैयार करने में जुट गया है। ट्रायल के रूप में कुछ ट्रेनों की छतों पर सोलर सिस्टम की अतिरिक्त प्लेट भी लगाई जाएगी।