ए के मितल की पुनर्नियुक्ति से रेलवे बोर्ड में नए निजाम पर चर्चा तेज
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए के मितल को सेवा विस्तार दिया गया है। बताया जा रहा है कि सरकार ने ऐसा कर नई परिपाटी को जन्म दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड चेयरमैन पद पर एके मितल की पुनर्नियुक्ति कर मोदी सरकार ने नई परिपाटी को जन्म दिया है। मितल रविवार को रिटायर हो रहे थे। लेकिन शुक्रवार को अचानक सरकार ने उनकी पुनर्नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। अब वह अगले दो सालों तक सीआरबी बने रहेंगे। यह पहला मौका है जब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) को पुनर्नियुक्ति अथवा सेवा विस्तार का लाभ मिला है। इसके पीछे रेलवे बोर्ड के प्रस्तावित पुनर्गठन को वजह माना जा रहा है। जिसमें अब तक कामयाबी नहीं मिली है। दरअसल यूनियनें इसका विरोध कर रही हैं। ऐसे में सरकार को एक ऐसे अनुभवी अफसर की तलाश है जो इस काम को बिना किसी झंझट के बखूबी अंजाम दे सके।
इस लिहाज से एयर इंडिया के सीएमडी अश्र्वनी लोहानी का नाम सरकार के दिमाग में है। जिन्हें रेलवे बोर्ड का पहला चेयरमैन-सह-सीईओ बनाया जा सकता है। ऐसा बिबेक देबराय समिति की सिफारिश पर होगा, जिसने रेलवे बोर्ड चेयरमैन का पद समाप्त करने तथा सीएमडी या सीईओ को कमान सौंपने का सुझाव दिया है। इस लिहाज से लोहानी का नाम सबसे उपयुक्त समझा जा रहा है। लोहानी मूलत: रेलवे के वरिष्ठ अफसर हैं। एयर इंडिया के अलावा उनके पास आइटीडीसी के सीएमडी तथा मध्य प्रदेश पर्यटन के निदेशक का भी अनुभव है। उनका अकादमिक रिकार्ड भी असाधारण है। लेकिन उन्हें एयर इंडिया का सीएमडी बने मुश्किल से एक साल हुआ है। दो साल का कार्यकाल अभी बाकी है।
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सूत्रों के अनुसार मितल का कार्यकाल इस तरह से बढ़ाया गया है ताकि एयर इंडिया सीएमडी का कार्यकाल पूरा होते ही लोहानी को रेलवे बोर्ड के सीईओ की कमान सौंपी जा सके।मितल की पुनर्नियुक्ति की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को कैबिनेट की नियुक्ति समिति के आदेश के बाद शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु तथा रेल राज्य मंत्रियों को मंत्रणा के लिए बुला लिया था। समझा जाता है कि बैठक में राज्यमंत्रियों के बीच कार्य के नए बंटवारे के अलावा रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन पर भी चर्चा हुई है।मितल की पुनर्नियुक्ति से उन लोगों को झटका लगा है जो दावेदारों मे शामिल थे। इसमें सदस्य कार्मिक प्रदीप कुमार तथा सदस्य यातायात मोहम्मद जमशेद के नाम शामिल हैं। जमशेद रेलमंत्री सुरेश प्रभु की पसंद थे। जबकि प्रदीप कुमार की दावेदारी वरिष्ठता के लिहाज से देखी जा रही थी।