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रेल हादसा: तीन मिनट तक शोर फिर चीख-पुकार चहुंओर

पटरी से उतरे उत्कल के दो डिब्बे जगत सिंह के इंटर कालेज और आवास में घुस गए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 Aug 2017 04:03 AM (IST)Updated: Sun, 20 Aug 2017 08:35 AM (IST)
रेल हादसा: तीन मिनट तक शोर फिर चीख-पुकार चहुंओर
रेल हादसा: तीन मिनट तक शोर फिर चीख-पुकार चहुंओर

 जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर: पटरी से उतरे उत्कल के दो डिब्बे जगत सिंह के इंटर कालेज और आवास में घुस गए। हादसे के वक्त जगत सिंह के भतीजे प्रदीप अहलावत घर के दरवाजे पर ही खड़े थे। घटना के बारे में बताते हुए वे सिहर उठते हैं। बोले, ट्रैक की ओर मेरा मुंह था। ट्रेन पूरी रफ्तार में थी। इंजन के सामने से गुजरते ही ट्रैक पर बिछे कंकड़-पत्थर छिटकने लगे। झट से दरवाजा बंद किया ही था कि धमाके जैसी आवाज हुई। कान के पर्दे फटने से बचे। तीन मिनट तक जबर्दस्त शोर रहा। इसी बीच हमारा घर हिल गया। लगा कि कोई नींव से उखाड़ रहा हो। डर से आंखें बंद हो गईं। इसके बाद कुछ सेकेंड तक सन्नाटा पसर गया..फिर चीख पुकार की ऐसी आवाजें आने लगीं कि अपनी हालत भूल लोगों को बचाने में जुट गए। पर बाहर धूल का गुबार था। छंटा तो लोग पागलों की तरह अपनों को ढूंढ रहे थे। कोई जमीन पर गिरा पड़ा था तो कोई 20 फीट ऊपर डिब्बे की खिड़की से लटक रहा था। पर हमारा परिवार मदद में जुट गया। महिलाओं-बच्चों को घर ले आए। मरहम पट्टी से लेकर चाय-पानी तक का इंतजाम किया। घर में बस्ता, पुरी, जमशेदपुरी, मुरैना के लोगों ने रात तक शरण ली। बाद में प्रशासन ने इन्हें आगे भिजवाया।

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 हवा की रफ्तार से दौड़ रही थी उड़ीसा के कस्बा से पत्नी बासंती और बेटी निरुपमा के साथ जगाधरी जा रहे हरेंद्र जाना ने कहा कि वे एस-3 कोच में थे। वे जहां बैठे थे, वहां कोच पूरी तरह से पिचक गया था। जैसे-तैसे परिवार को लेकर निकले। बेटी निरुपमा ने कहा, मेरठ से छूटने के बाद ट्रेन की रफ्तार बढ़ती जा रही थी। हादसे के वक्त हवा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ रही थी। अंधेरा छंटा तो हवा में थी जमशेदपुर से रुड़की जा रही अभिलाषा आइआइटी में कम्युनिकेशन इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच की छात्रा हैं। वे एस-२ बॉगी में ही थीं जो पैंट्री कार पर चढ़कर हवा में झूल रही थी।

 अभिलाषा बोलीं, वे अपनी सीट पर बैठी थीं, तभी जोर की आवाज हुई। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। शुक्र है मैं ङ्क्षजदा हूं। निकले थे तीर्थ करने, ये क्या हो गया जनता कन्या इंटर कालेज में लगे शिविर में मुन्नी देवी, शीतला देवी, बहोरनी देवी आदि महिलाएं बैठी थीं। 32 लोगों का इनका दल मुरैना, मप्र से हरिद्वार तीर्थ करने निकला था फिलहाल साथ में 18 लोग ही हैं, बाकी कहां हैं पता नहीं। उनकी सखी शीतला, उर्मिला, माधुरी बोलीं, हमारी हिम्मत टूटी नहीं है। सुबह ही हम हरिद्वार के लिए निकलेंगे। रातभर में अपने बाकी साथियों को खोजेंगे।

-चेन पुलिंग का शोर मचा और करंट दौड़ने लगा

- करंट के तेज झटकों से सहमे यात्री

- गार्ड ने वायरलेस कर सप्लाई बंद कराई

राशिद अली, मुजफ्फरनगर। जिला अस्पताल पहुंचे मध्यप्रदेश के मुरेना निवासी प्रदीप शर्मा ने कांपते हुए बताया कि वे पत्नी रेखा शर्मा व तीन वर्षीय पुत्री अमन के साथ एस-2 बोगी में थे। अचानक जोर का झटका लगा। बोगी पलटने पर महसूस हुआ कि जैसे चेन पुलिंग हुई हो। पैंट्री कार में कार्यरत घायल त्रिवेन्द्र ने बताया कि वह एस-१ बोगी में थे, जोर का झटका लगा और मौत के डर से आंखें बंद हो गईं, कुछ सेकेंड के लिए लगा कि इस दुनिया में नहीं हूं। जगन्नाथ पुरी के रहने वाले मधु मंडल ने बताया कि वह तीन साथियों संग एस-१ बोगी में थे। हादसे के आधा घंटा बाद तक बाहर नहीं निकल सके। करंट भी दौड़ रहा था, कोई भी मदद को करीब नहीं आ रहा था। पूरे डिब्बे में चीख-पुकार मची हुई थी। गार्ड ने वायरलेस कर विद्युत आपूर्ति बंद कराई। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती ग्वालियर निवासी नारायण शर्मा भी हादसे को याद कर सिहर उठते हैं।

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