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चाशनी में लिपटा कड़वा नुस्खा होगा रेल बजट

इस बार का रेल बजट मीठी चाशनी में लिपटा कड़वा नुस्खा साबित हो सकता है। इसमें एक तरफ रेल यात्रा को अधिकाधिक सुविधाजनक, सुरक्षित व कस्टमर फ्रेंडली बनाने पर जोर रहेगा, वहीं दूसरी ओर इसकी कीमत वसूलने में कोई गुरेज नहीं किया जाएगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 08:28 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 08:32 AM (IST)
चाशनी में लिपटा कड़वा नुस्खा होगा रेल बजट

संजय सिंह, नई दिल्ली। इस बार का रेल बजट मीठी चाशनी में लिपटा कड़वा नुस्खा साबित हो सकता है। इसमें एक तरफ रेल यात्रा को अधिकाधिक सुविधाजनक, सुरक्षित व कस्टमर फ्रेंडली बनाने पर जोर रहेगा, वहीं दूसरी ओर इसकी कीमत वसूलने में कोई गुरेज नहीं किया जाएगा। इसके लिए सरकार विशेषज्ञों के साथ जनता का समर्थन जुटाने में जुटी है।

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जनता के सुझावों को मिलेगी जगह

रेल बजट 2016-17 के लिए रेल मंत्रालय को देश भर से हजारों सुझाव प्राप्त हुए हैं। ज्यादातर सुझाव ट्रेन यात्रा को सुविधाजनक, आरामदेह व सुरक्षित बनाने को लेकर हैं। इनमें से उन सुझावों को रेल बजट में स्थान मिलेगा, जो व्यावहारिक होने के साथ किफायती भी हैं या फिर ऐसे सुझाव लिए जाएंगे जिन्हें लागू करने से आमदनी में इजाफा होता हो। केवल खर्च बढ़ाने वाले सुझावों को बजट में जगह मिलना मुश्किल है। हालांकि ऐसे बहुत कम सुझाव मिले हैं, जिनमें किराया बढ़ाने से इतर कोई अभिनव उपाय बताया गया हो।

विशेषज्ञों ने दी किराया बढ़ाने की राय

किराया बढ़ाने की राय ज्यादातर विशेषज्ञों या संस्थाओं की ओर से आई है। जिनका जोर रेलवे आधुनिकीकरण, विस्तार और वाणिज्यिक संचालन पर है। सरकार की तरह ये भी निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के पक्षधर हैं। लिहाजा सरकार इनके तर्कों का सहारा लेकर किराया वृद्धि के पक्ष में जनता से समर्थन जुटा रही है।

ढालना होगा नई चुनौतियों के अनुरूप

उदाहरण के लिए एक्सिस कैपिटल के अध्ययन को ही लें, जिसे रेल मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। "रेलवे 360 डिग्री : एक्चुअली ह्वाट विल हैपेन" नामक इस अध्ययन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुरेश प्रभु को आज का सचिन व सहवाग बताया गया है। अध्ययन में रेलवे का 2030 तक का रोडमैप प्रस्तुत किया गया है। इसके मुताबिक रेलवे को पहले की तरह चलाना संभव नहीं रह गया है। अब इसे नई चुनौतियों के अनुरूप ढालना होगा।

इसके लिए ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने, स्टेशनों के आधुनिकीकरण के अलावा यात्री सुविधाओं में जबरदस्त इजाफा करना होगा। चूंकि 2018-19 से डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर चालू होने की संभावना है, लिहाजा 70 फीसद मालगाड़ियां उस पर शिफ्ट हो जाएंगी। इसी के साथ रेलवे की अधिकांश कमाई संचालक कंपनी डीएफसीसीएल के खाते में चली जाएगी। इसकी भरपायी के लिए रेलवे को अपना फोकस माल के बजाय यात्री परिवहन पर करना होगा।

किरायों में नियमित वृद्धि करनी होगी। वर्ष 2016-17 में सातवें वेतन आयोग से सेलरी व पेंशन बिल पर 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसकी भरपायी के लिए यात्री किराये में 10 और माल भाड़े में पांच फीसद बढ़ोतरी की जरूरत बताई गई है।

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