गुजरात चुनाव से पहले होगी राहुल की ताजपोशी, सोमवार को CWC की बैठक
चुनाव की सरगर्मी के बीच कार्यसमिति की बैठक बुलाने के फैसले को देखते हुए यह माना जा रहा कि गुजरात चुनाव से पहले ही राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाल लेंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में ताजपोशी पर जारी सस्पेंस खत्म होने वाला है। पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के कार्यक्रम और तारीख तय करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक सोमवार 20 नवंबर को बुलाई जा रही है। चुनाव की सरगर्मी के बीच कार्यसमिति की बैठक बुलाने के फैसले को देखते हुए यह माना जा रहा कि गुजरात चुनाव से पहले ही राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाल लेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर कार्यसमिति की यह अहम बैठक सुबह साढे दस बजे बुलाई गई है। जाहिर तौर पर इस समय बैठक का एजेंडा कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम तय करना है। वैसे तो राहुल का अध्यक्ष बनना पार्टी में महज औपचारिकता है क्योंकि संगठन में मौजूदा समय में कांग्रेस के शिखर नेतृत्व को चुनौती देने की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं दिखती। फिर भी राहुल के अध्यक्ष बनने के तरीके पर कोई सवाल न उठे इसलिए चुनाव कराने की सारी प्रक्रिया पार्टी पूरी करेगी। पार्टी सूत्रों से मिले संकेतों के अनुसार दिसंबर के पहले हफ्ते में ही कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इससे साफ है कि गुजरात चुनाव के पहले दौर के 9 दिसंबर को होने वाले मतदान से पूर्व राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में ताजपोशी की पार्टी की तैयारी है।
कांग्रेस में राहुल के युग का औपचारिक आगाज भले ही उनके अध्यक्ष बनने के बाद से माना जाएगा मगर व्यावहारिक तौर पर पार्टी की कमान बीते कुछ साल से बतौर उपाध्यक्ष उनके हाथों में ही है। पार्टी के अंदर भी कभी उनके नेतृत्व को लेकर असहज महसूस कर अंदरुनी तौर पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेता भी अब उनका नेतृत्व स्वीकार कर चुके हैं। राहुल ने भी हाल के समय में अपनी युवा नेताओं की टीम के साथ वरिष्ठ नेताओं को पूरी तवज्जो देकर यह संदेश दिया है कि वे फिलहाल कांग्रेस में सबको साथ लेकर चलने का इरादा रखते हैं।
सोनिया गांधी की सेहत गड़बड़ होने के बाद से ही राहुल को पार्टी की कमान सौंपने की बातें चल रही हैं मगर कई मौकों पर इसको लेकर खुद राहुल तैयार नहीं दिखे। हालांकि बीते तीन महीनों के दौरान राहुल ने इस संशय से बाहर आकर नेतृत्व संभालने के अपने इरादे साफ कर दिए।
2004 में अमेठी से लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक पारी का आगाज करने वाले राहुल गांधी ने 2007 में बतौर कांग्रेस महासचिव संगठन में जिम्मेदारी संभाली। यूपीए की दस साल की सत्ता के दौरान उन्हें कई बार मनमोहन सिंह ने अपनी कैबिनेट में शामिल करने का प्रस्ताव दिया मगर राहुल ने इनकार कर दिया। 2012 में तो कांग्रेस के एक वर्ग ने उन्हें मनमोहन की जगह पीएम बनाने तक की अंदरुनी आवाज बुंलद की। जयपुर में जनवरी 2013 में राहुल को औपचारिक रुप से सोनिया गांधी का उत्तराधिकारी बनाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष के रुप में प्रमोशन दिया गया। राहुल के मुकाबले पार्टी के अंदर से उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में राहुल का निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना भी तय दिखता है।
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