राहुल गांधी दिल्ली से ही देंगे मोदी के सिडनी शो का जवाब
नरेंद्र मोदी ने पहले देश समां बांधा। अब विदेशी धरती से भी माहौल बना रहे हैं। पहले मेडिसन स्क्वायर से उन्होंने जादू दिखाया तो अब सिडनी से वह जलवा दिखाने को तैयार हैं। मगर, इस दफा विदेशी धरती पर प्रधानमंत्री के बहुप्रतीक्षित शो को दिल्ली से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
नई दिल्ली [राजकिशोर]। नरेंद्र मोदी ने पहले देश समां बांधा। अब विदेशी धरती से भी माहौल बना रहे हैं। पहले मेडिसन स्क्वायर से उन्होंने जादू दिखाया तो अब सिडनी से वह जलवा दिखाने को तैयार हैं। मगर, इस दफा विदेशी धरती पर प्रधानमंत्री के बहुप्रतीक्षित शो को दिल्ली से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी चुनौती पेश करेंगे।
मोदी जब 17 नवंबर को सिडनी में हिंदुस्तानियों को संबोधित करेंगे तो दिल्ली में उसके आस-पास ही कांग्रेस उपाध्यक्ष पंडित जवाहर लाल नेहरू की विरासत के सहारे अपने अंतरराष्ट्रीय ज्ञान का मुजाहिरा भी करेंगे। दुनिया पर नेहरू के विचार और विरासत का खेवनहार राहुल को बनाकर कांग्रेस ने 17-18 नवंबर को नए रूप में पेश करने की तैयारी कर ली है।
लोकसभा चुनावों के बाद खोल में सिमट गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तंद्रा भी अब टूट रही है। हार के बाद पार्टी के बीच मची मार-काट को पीछे छोड़कर कांग्रेस सदमे से उबरने की कोशिश में है। लोकसभा के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा की सत्ता से बेदखल होने के बाद बुरी तरह से मायूस कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भ्रम से उबरकर पार्टी अब फिर अपने चेहरे राहुल गांधी को जोर-शोर से पेश करने की तैयारी कर चुकी है।
कांग्रेस में हर हार के बाद राहुल को नए तरीके से पेश करने का सिलसिला 2012 से ही चला आ रहा है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में हार के बाद जनवरी 2013 में जयपुर में पूरे गाजे-बाजे के साथ चिंतन शिविर आयोजित किया गया था। इसमें राहुल को कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाकर पार्टी का चेहरा बनाया गया।
लोकसभा चुनाव और फिर दो राज्यों के विधानसभा चुनावों ही हार के बाद कांग्रेस में भले ही राहुल के खिलाफ बगावती सुर बुलंद हो रहे हों इनको दरकिनार कर पार्टी ने नेहरू की 125वीं जयंती के बहाने राहुल के अंतरराष्ट्रीय नजरिये को देश के सामने लाने की जमीन तैयार कर ली है।
नेहरू की विरासत पर भी जिस तरह से मोदी सरकार ने सेंध लगा दी है, 17-18 नवंबर को दिल्ली में आयोजित होने वाले समारोह के जरिये उसे बचाने की कोशिश की जाएगी। इस आयोजन में 54 देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में कांग्रेस उपाध्यक्ष नेहरू की सोच और अंतरराष्ट्रीय विचारों के साथ अपना नजरिया रखेंगे। कोशिश यह होगी कि मौजूदा सरकार के नजरिये को तर्को के साथ नेहरू की सोच के खिलाफ साबित किया जाए। वैसे भी इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत राजग के किसी भी दल को आमंत्रित न कर कांग्रेस नेहरू की विरासत का उत्तराधिकारी खुद को साबित करने की आक्रामक कोशिश कर ही चुकी है।
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