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आदिवासी वोट बैंक मजबूत करने की रणनीति के साथ गुजरात में राहुल का चुनावी शंखनाद

प्रधानमंत्री मोदी की यात्राओं के दबाव से उबरने को कांग्रेस अब विविध रैली व सभाओं का सहारा लेगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 01 May 2017 09:04 AM (IST)Updated: Mon, 01 May 2017 09:04 AM (IST)
आदिवासी वोट बैंक मजबूत करने की रणनीति के साथ गुजरात में राहुल का चुनावी शंखनाद
आदिवासी वोट बैंक मजबूत करने की रणनीति के साथ गुजरात में राहुल का चुनावी शंखनाद

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात स्थापना दिवस पर डेडियापाडा में आदिवासी महासभा कर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के चुनाव प्रचार का विधिवत श्रीगणेश करेंगे। प्रभारी के रूप में कामत की विदाई के बाद गुजरात कांग्रेस के नए प्रभारी अशोक गहलोत भी इसी दिन से कामकाज संभालेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की यात्राओं के दबाव से उबरने को कांग्रेस अब विविध रैली व सभाओं का सहारा लेगी।

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मध्य व दक्षिण गुजरात का आदिवासी मतदाता कभी कांग्रेस का कोर वोट बैंक माना जाता था, पूर्व मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी के निधन के बाद पार्टी लगातार इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ खोती गई। आदिवासियों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। उधर, मछुआरों को साधने के लिए कद्दावर नेता अर्जुन मोढवाडिया के नेतृत्व में किनारा बचाओ यात्रा इस महारैली के बाद शुरू होगी। राहुल गांधी लंबे अंतराल के बाद गुजरात आ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने मेहसाणा में किसान सभा को संबोधित किया था। प्रदेश में कांग्रेस करीब ढाई दशक से सत्ता से दूर है।

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पार्टी के पास इस चुनाव में सत्ता हासिल करने का मौका है लेकिन गत दिनों पार्टी नेताओं में मुख्यमंत्री पद की दौड़ के मामले को पार्टी आलाकमान गंभीरता से लिया तथा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुरुदास कामत को गुजरात छोड़ना पड़ा। कांग्रेस आदिवासी, मछुआरों के साथ पाटीदार व दलित वोट बैंक को भी साधने का प्रयास कर रही है। राज्य में चल रहे पाटीदार आरक्षण आंदोलन तथा ऊना दलित कांड के चलते पार्टी को उम्मीद है कि इस चुनाव में खासा लाभ होगा।

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में पार्टी की हार के चलते गुजरात में राहुल गांधी पर काफी दबाव रहेगा लेकिन प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक फेरबदल कर राहुल इससे उबरने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपने गृह राज्य में सत्ता को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। चुनाव से पहले शाह कांग्रेस के कुछ बडे़ नेताओं को भाजपा में लाने की योजना बना रहे हैं। अटकलें यह भी हैं कि नेता विपक्ष शंकरसिंह वाघेला का नाम भी इनमें शामिल है। आदिवासी महारैली कांग्रेस की चुनावी रणनीति की एक शुरुआत है। आने वाले समय में कांग्रेस बड़े जनआंदोलन की भी तैयारी कर रही है। नवसर्जन गुजरात के चुनावी नारे के साथ कांग्रेस इस चुनाव में पूरे दमखम के साथ मैदान में है।

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