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आइजीआइ एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव रिसाव की अफवाह से हड़कंप

इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आइजीआइ) पर शुक्रवार तड़के रेडियोएक्टिव पदार्थ के कंटेनर में रिसाव की अफवाह से हड़कंप मच गया। एयर कार्गो के कर्मचारियों की आंखों में जलन से रिसाव का पता चला। परमाणु ऊर्जा एजेंसियों व एनडीआरएफ की टीमों ने तत्काल पहुंचकर रिसाव रोका।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 29 May 2015 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 01:15 AM (IST)
आइजीआइ एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव रिसाव की अफवाह से हड़कंप

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आइजीआइ) पर शुक्रवार तड़के रेडियोएक्टिव पदार्थ के कंटेनर में रिसाव की अफवाह से हड़कंप मच गया। एयर कार्गो के कर्मचारियों की आंखों में जलन से रिसाव का पता चला। परमाणु ऊर्जा एजेंसियों व एनडीआरएफ की टीमों ने तत्काल पहुंचकर रिसाव रोका।

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रिसाव रेडियोएक्टिव पदार्थ से नहीं बल्कि सोडियम आयोडाइड से भरे कंटेनर से हुआ था। इसकी चपेट में आए तीन कर्मचारियों को एम्स में भर्ती कराया गया। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके लिए एक टीम बना दी गई है। देर शाम परमाणु ऊर्जा नियमन बोर्ड व आयोग के अलावा दिल्ली सरकार ने भी रेडियोएक्टिव रिसाव की घटना से इन्कार कर दिया।

चार पैकेटों से रिसाव
इंस्तांबुल (तुर्की) से फ्लाइट संख्या टीके -716 के जरिये 13-13 किलो के पीले रंग के 10 तरल लिक्विड पैकेट आए थे। इनमें सोडियम आयोडाइड और सोडियम मोलिब्डेट था। इनमें से चार में रिसाव हुआ। एयरपोर्ट के कार्गो एरिया में सुबह करीब 4.35 बजे ये खेप पहुंची थी। रिसाव की सूचना एनडीआरएफ, भाभा परमाणु अनुसंधान कंपनी (बार्क) और परमाणु खनिज अन्वेषण विभाग को दी गई। एनडीआरएफ के प्रमुख ओपी सिंह ने रिसाव को बहुत मामूली बताया।

यात्री टर्मिनल से दूर
एयरपोर्ट संचालन करने वाली कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड कहा कि रिसाव की चपेट में कोई यात्री नहीं आया। यात्री टर्मिनल रिसाव क्षेत्र से काफी दूर है परंतु उसे तुरंत खाली करा लिया गया। इस प्रक्रिया में उड़ानों पर कोई असर नहीं पड़ा।

क्या है उपयोग
परमाणु वैज्ञानिकों के अनुसार सोडियम आयोडाइड 131 का उपयोग हाइपर थायरॉइड व थायरॉइड कैंसर में किया जाता है। भारत में भी ध्रुव रिएक्टर की मदद से इसका उत्पादन होता है और इलाज के लिए 120 केंद्रों पर भेजा जाता है। सोडियम आयोडाइड 131 का उत्पादन टेलूरियम को नाभिकीय रिएक्टर में आठ दिनों तक रखकर किया जाता है। दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल ने इसको तुर्की से मंगाया था।

एईआरबी ने की पुष्टि
परमाणु ऊर्जा नियमन बोर्ड (एईआरबी) के उपाध्यक्ष आर. भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि रिसाव आर्गेनिक तरल से भरे दूसरे कंटेनरों में हुआ था। यह न्यूक्लियर मेडिसिन से भरे पैकेटों पर गिर गया। इससे शुरू में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। परंतु जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। नई दिल्ली जिला के जिलाधिकारी संजय कुमार ने भी इसकी पुष्टि की।

दिल्ली एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव पदार्थ के रिसाव से तनाव


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