मंदिर की जमीन छोड़ें अल्पसंख्यक समुदाय के किसान
आंध्र प्रदेश सरकार ने मंदिर के जमीन पर अल्पसंख्यक समुदाय के किसानों को खेती करने से मना कर दिया।
विजयवाडा। विवादित कदम उठाते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दलित क्रिश्चियन और मुसलमान किसानों को हिंदू मंदिरों या मठ के जमीन पर खेती से मना किया जाए। नवंबर 2015 में जारी सरकारी आदेश को देखते हुए यह कदम शुरू हो रहे खेती के मौसम को देखते हुए उठाया गया है।
इस माह के शुरुआत में आंध्र सरकार ने किराएदार किसानों को नोटिस देना शुरू कर दिया ताकि उनके अधिकार के जमीनों को वापस कर दिया जाए। खेती को जारी रखने के लिए दलित किरायेदार किसानों को सर्टिफिकेट देने को कहा गया जिसमें चर्च द्वारा यह बताया गया हो कि वे क्रिश्चयन धर्म को नहीं मानते हैं जबकि मुस्लिमों को पूरी तरह से नये नियमों के आधार पर खेती से रोक दिया गया है।
आंध्र प्रदेश में ढेर सारे दलित हैं जिन्होंने हाल ही में क्रिश्चयन धर्म को अपनाया है लेकिन चूंकि उन्होंने अपना नाम नहीं बदला, यह पता लगाना आसान नहीं है कि वे कंवर्टेड हैं।
मानसून की दस्तक से किसानों के चेहरे खिले
आदेश के अनुसार, नियम संख्या 9 कहता है: क्लाउज (f): ‘हिंदु धर्म के अलावा किसी और धर्म को मानने वाला आदमी जमीन पर खेती नहीं कर सकता है।‘
मुस्लिम युनाइटेड फ्रंट मेंबर हबीब-उर-रहमान ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा, ‘गंटूर में जुम्मा मस्जिद पर रहने वाले किराएदारों में 80 फीसद गैर मुस्लिम हैं।‘
दलित किसान पी अब्राहम ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वह चिंतित है कि अगर चर्च से उसे सर्टिफिकेट नहीं मिला तो लीज पर ली गयी जमीन चली जाएगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आंध्र के मंदिर जो अब सरकार के अधिकार में है वह बड़ी जमीन है। विभिन्न मंदिरों के करीब 3 लाख एकड़ खेत की जमीन पर ये किसान खेती करते हैं। इनमें से 30 फीसद किसान दलित हैं। उदाहरण के लिए कृष्णा जिले में गोल्लापल्ली के श्री रघुराम मंदिर का 1200 एकड़ जमीन है। 1,568 किसान पूरे जमीन पर खेती करते हैं। इनमें से 199 मुस्लिम, 204 अनुसूचित जाति और पांच आदिवासी हैं। मंदिर की अथॉरिटी ने सभी को नोटिस जारी किया है।
मांग 40 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की, धरने पर खर्च हो गए 51 लाख
इसी तरह से गंटूर, कंगला के 300 एकड़ जमीन जो श्री वेणुगोपाल स्वामी मंदिर का है, पर मुसलमान किसान खेती करते हैं। सर्टिफिकेट नहीं दिखाने पर राज्य ने खेत के अधिकारियों को जमीन खाली कराने के लिए पुलिस की मदद लेने को कहा है।