पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-मैं राजनीतिक लड़ाई का शिकार
एटीएस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि मैं अभिनव भारत की बैठकों में शामिल हुआ था। उन्होंने कहा कि यह बात सही है लेकिन ऐसा मैंने सैन्य जासूस की हैसियत से किया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र : वर्ष 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह 'राजनीतिक लड़ाई' की भेंट चढ़ गये। इस सैन्य अफसर के खिलाफ कोई भी आरोप तय नहीं होने के बावजूद वह पिछले नौ सालों से लगातार जेल में बंद हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत मांग रहे पुरोहित के इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
उन्होंने बताया कि यह सभी तथ्य बांबे हाईकोर्ट को दिखाये गये हैं, लेकिन उसका कहना है कि अभियोजन पक्ष ने यह तथ्य उनके समक्ष नहीं रखे हैं। इसलिये वह इसे क्यों देखेंगे?
साल्वे ने पुरोहित की ओर से कहा कि उन पर आरोप है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की साजिश पर उनके आरडीएक्स विस्फोट पदार्थो की आपूर्ति करने का आरोप लगा। अब जबकि साध्वी को एनआइए ने क्लीनचिट और जमानत दे दी है, तो फिर मेरे और साध्वी के बीच कोई लिंक ही नहीं रह जाता है। इसलिये नौ साल जेल में बिताने के बाद कम से कम मुझे अंतरिम जमानत तो मिलनी ही चाहिये।
जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे ने गुरुवार को कहा कि वह पुरोहित की याचिका पर अपना फैसला सुनाएंगे। पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह स्वीकार किया कि वह दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत की कुछ बैठकों में शामिल हुए थे। इस संगठन के सदस्यों पर मालेगांव बम धमाके की साजिश में शामिल होने का आरोप है।
एटीएस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि मैं अभिनव भारत की बैठकों में शामिल हुआ था। उन्होंने कहा कि यह बात सही है लेकिन ऐसा मैंने सैन्य जासूस की हैसियत से किया था। मैं अपना दायित्व निभा रहा था। उन्होंने एक सैन्य अफसर होने का फर्ज निभाया और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को संगठन की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
पुरोहित की ओर से अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि उनका मुवक्किल खुद को राजनीतिक लड़ाई का मोहरा बना हुआ देखता है। वह पिछले नौ सालों से जेल में है लेकिन वह अभी भी सेना में है।
यह भी पढ़ें: मालेगांव बम ब्लास्ट केस:कर्नल पुरोहित की जमानत पर SC ने फैसला सुरक्षित रखा