अगर यही रहा हाल तो पंजाब में कैसे बचेंगी कुड़ियां ?
सरकार एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ अभियान को बढ़ावा दे रही है। लेकिन एक सर्वे के मुताबिक पंजाब में 60 फीसद से अधिक स्कूली छात्राएं दिल की बीमारियों का सामना कर रही हैं।
नई दिल्ली। सामाजिक तरक्की के लिए आर्थिक तरक्की को जरूरी माना जाता है। लेकिन पंजाब की हकीकत जुदा है। पंजाब को एक समृद्ध सूबे के तौर पर देखा जाता है, परंतु यहां की लड़कियों केे हालाात बेहद ही खराब हैंं। ब्रिटिश जर्नल हॉर्ट एशिया के मुताबिक स्कूल जाने वाली 60 फीसद लड़कियां दिल की बीमारियों का सामना कर रही हैं। लेकिन दवाओं और ऑपरेशन के अभाव में वो मरने के कगार पर हैं।
जर्नल के मुताबिक नेशनल हेल्थ मिशन के तहत दिल की बीमारियों का सामना कर रहीं स्कूली लड़कियों की मुफ्त इलाज की व्यवस्था है। लेकिन महज 37 फीसद लड़कियों को इसका फायदा मिल रहा है। कोरोनरी और रियुमैटिक हॉर्ट डिजीज में लड़के और लड़कियों का अनुपात 1:1 का है। जबकि पंजाब में 519 छात्रों में किए गए सर्वे के मुताबिक ये आंकड़ा 1.6:1 का है। 2011 की जनगणना में पंजाब में सेक्स रेशियो महज 846 है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा 942 है। पंजाब खराब लिंगानुपात के मामले में हरियाणा के बाद दूसरे पायदान पर है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 519 छात्रों के सर्वे में ये पाया गया कि 324 लड़कों के दिल संबंधी बीमारियों की तुलना में महज 195 लड़कियों का इलाज किया गया। अध्ययन में ये भी पाया गया कि ऑपरेशन की निशान की वजह से लड़कियों की शादियों में दिक्कत आती है। लिहाजा लोग सर्जरी कराने से कतराते हैं। वहीं संपत्ति में लड़कों की भागीदारी की वजह से भी लड़कियों पर ध्यान नहीं देते हैं।
कॉर्डियोवस्कुलर हेल्थकेयर की डॉ शिब्बा टक्कर का कहना है कि पंजाब में लोग आर्थिक वजहों से ज्यादा दकियानूसी विचारों की वजह से लड़कियों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते हैं। इस मामले में पंजाब सरकार की स्वास्थ्य सचिव विनी महाजन का कहना है कि इन्हीं वजहों को ध्यान में रखकर स्कूली लड़कियों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था शुरु की गयी। जर्नल के अध्ययन में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी कि ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों के लोग लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा गंभीर नहीं हैं।