हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र
68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली के राजपथ पर हंगपन दादा की पत्नी चेसेन लोवांग ने नम आंखों से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों यह सम्मान ग्रहण किया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। जम्मू कश्मीर में अकेले तीन आतंकियों को मौत के घाट उतारने वाले राष्ट्रीय रायफल्स के जवान हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से प्रदान किया गया है। अशोक चक्र शांति काल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली के राजपथ पर हंगपन दादा की पत्नी चेसेन लोवांग ने नम आंखों से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों यह सम्मान ग्रहण किया। इस मौके पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व यूएई के शहजादे मुहम्मद बिन जायद अल नाहयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहे। हंगपन दादा का जन्म दो अक्टूबर, 1979 को अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के बोरदरिया गांव में हुआ था। सेना के बयान में कहा गया है कि हंगपन दादा दृढ़ इच्छाशक्ति और पैनी सैन्य क्षमता वाले जवान होने के साथ ही मृदुभाषी और ईश्वर में श्रद्धा रखने वाले जवान के रूप में जाने जाते थे।
हंगपन दादा पिछले साल मई में नौगाम सेक्टर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। 26 मई 2016 को उनकी टीम को चार आतंकियों के भारतीय सीमा में घुसने की जानकारी मिली थी। कंपनी कमांडर ने दादा को आतंकियों की घेराबंदी करने का आदेश दिया था। उसी दौरान दादा का दो आतंकियों से सामना हुआ। उनमें से एक को उन्होंने मौत के घाट उतार दिया, जबकि दूसरा घायल होकर छिप गया। बाद में दादा ने पीछा करते हुए बाकी दो आतंकियों को भी मार गिराया था। छिपे हुए आतंकी को भी अन्य जवानों ने मार गिराया था।
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