महाराष्ट्र के प्रस्तावित आंतरिक सुरक्षा कानून का चौतरफा विरोध
महाराष्ट्र में प्रस्तावित आंतरिक सुरक्षा कानून को लेकर राकांपा ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं शिवसेना भी इसके विरोध में आ गई है।
मुंबई (राज्य ब्यूरो)। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव केपी बख्शी के अनुसार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के निर्देश पर प्रस्तावित महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटर्नल सिक्यूरिटी एक्ट (एमपीआइएसए) का मसौदा सभी दलों के सामने चर्चा के लिए रखा जाएगा। सर्वदलीय बैठक के बाद इस मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल चर्चा करेगा। उसके बाद मसौदे पर सार्वजनिक आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। इन सभी स्तरों पर चर्चा के बाद मसौदे को कानून में बदलने के लिए विधानमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा।
लेकिन शिवसेना इससे संतुष्ट नहीं है। उसने प्रस्तावित आंतरिक सुरक्षा कानून की तुलना आपातकाल से की है। पार्टी मुखपत्र 'सामना' के जरिये शिवसेना ने भाजपा और मुख्यमंत्री फड़नवीस पर करारा हमला बोला है। संपादकीय में लिखा है कि यदि सरकार आंतरिक सुरक्षा के नाम पर आपातकाल लागू करने का मन बना रही है तो इसका कड़ा विरोध होना चाहिए। यह कानून 1975 में लागू किए गए आपातकाल से भी ज्यादा खतरनाक है। फड़नवीस सरकार लोगों की आजादी छीनने का प्रयास कर रही है।
प्रस्तावित कानून पर शिवसेना का सुर देखते हुए कांग्रेस एवं राकांपा को भी सरकार की आलोचना का बहाना मिल गया है। कांग्रेस प्रवक्ता अल नसीर जकरिया कहते हैं कि आंतरिक सुरक्षा कानून लाकर भाजपा अपने ही अटलबिहारी वाजपेयी एवं लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं के विचारों के खिलाफ जा रही है, जो हमेशा आपातकाल का विरोध करते रहे हैं। राकांपा ने इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। पार्टी की विधायक किरण पावस्कर ने कहा कि विपक्ष इसे विधान सभा में पेश नहीं होने देगा।